निजी अस्पताल के कोविड वार्ड पूरे खाली
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल-मई में शहर के सभी अस्पताल मरीजों से भर गए थे। अब हालात बदल गए हैं। शहर के निजी अस्पताल के कोविड वार्ड खाली हो गए हैं। सरकारी क्षेत्र के ओएफके, वीएफजे अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग के ज्ञानोदय कोविड केयर सेंटर में भी कोई कोरोना मरीज भर्ती नहीं है। मरीज कम होने से चार सरकारी अस्पतालों को मिलाकर छह सौ से ज्यादा आइसीयू बेड खाली हैं।
आसपास के संक्रमित भर्ती
शहर के सरकारी अस्पतालों में भर्ती 14 कोरोना मरीजों में भी आधे से ज्यादा दूसरे जिलों से रेफर होकर आए हैं। 30 जून की स्थिति में सिर्फ सात कोरोना मरीज ही बचे हैं। चार मरीज को सामान्य लक्षण हैं। वे होम आइसोलेशन में हैं। अस्पताल में जिले के रहने वाले सिर्फ तीन कोरोना मरीज उपचाररत हैं।
बढ़ती भीड़, लापरवाही फिर बढ़ा रही चिंता
शहर में करीब तीन महीने बाद कोरोना संक्रमण नियंत्रण में आया है। इसमें दूसरी लहर में लम्बे लॉकडाउन और लोगों की सावधानी और सतर्कता का बड़ा योगदान है। लेकिन, अनलॉक के बाद से शहर में सडक़, बाजार, नुक्कड़ पर फिर भीड़ बढ़ रही है। मास्क लगाने से लेकर हाथ धोनें और सोशल डिस्टेंसिंग की सावधानी लोग भूला रहे हैं। ढिलाई फिर बरती जा रही है, जो पहली लहर के बाद अनलॉक में हुई थी। लोगों के संक्रमण के लिहाज से अपने सीमित दिनचर्या और संयमित आदत बनाए नहीं रखने से तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों की चिंता बढ़ रही है।
लड़ाई अभी बाकी है
कुछ ही सप्ताह में 977 से शून्य कोविड पॉजिटिव केसेस तक का सफर शहर ने तय किया है। लेकिन, कोरोना से लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। तीसरी लहर से निपटने के लिए अब दोगुनी शक्ति से सबकी सामूहिक ताकत की आवश्यक है। अभी ढिलाई बिल्कुल नहीं करनी है। मास्क को अच्छे से नाक-मुंह पर लगाकर ही घर से बाहर निकलना है। हाथ धोने और दो की गज की दूरी को आदत में बनाए रखना है।
– डॉ. जितेंद्र भार्गव, डायरेक्टर, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पलमोनरी मेडिसिन, मेडिकल कॉलेज