जबलपुर

हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, आरक्षण के मसले में सरकार कर रही गलतियां

पीएससी परीक्षा के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, अब याचिका की सुनवाई 15 को

जबलपुरMar 10, 2021 / 10:54 pm

गोविंदराम ठाकरे

court

जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर तल्ख टिप्पणी की। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा कि आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सैकड़ों फैसले हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार नियुक्तियों में आरक्षण को लेकर बार बार गलतियां कर रही है। कोर्ट ने पीएससी परीक्षा के खिलाफ दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह कहा। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई ओबीसी आरक्षण को लेकर लम्बित अन्य याचिकाओं के साथ 15 मार्च को करने का निर्देश दिया।
यह है मामला
याचिकाकर्ता उग्रसेन बरकड़े व दिव्येश पटेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नगरथ एवं अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने याचिका पेश कर मप्र पीएससी परीक्षा 2019 व राज्य सेवा परीक्षा भर्ती नियम 2015 मे संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती दी। उनके तर्कों को गंभीरता से लेते हुए ओपन कोर्ट में बेंच ने मौखिक रूप से राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि आरक्षण पर इंद्रा साहनी से लेकर 5 मार्च 2021 तक सैकड़ों निर्णय सुको ने पारित किए। इनमे स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अनारक्षित पदों पर चयन, सिर्फ मेरीटोरियस (प्रतिभावान) अभ्यर्थीयों का ही चयन करने का प्रावधान है। फिर भी शासन द्वारा गलतियां की जा रही है। जहां तक 2006 में हेमरज राणा के प्रकरण मे हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय का प्रश्न है, उक्त निर्णय में हाईकोर्ट ने मेरीटोरियस (प्रतिभावान) अभ्यर्थीयों को अनारक्षित वर्ग मे चयन करने से नहीं रोका है। फिर भी सरकार द्वारा उक्त निर्णय का गलत अर्थ निकाल कर सही नियमों में गलत संशोधन करके मेरीटोरियस (प्रतिभावान) अभ्यर्थीयों को अनारक्षित वर्ग मे जाने से रोक दिया गया है। जो अपने आप मे गलत है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.