जब आप अपने रजिस्टर्ड नंबर से गैस सिलेंडर की बुकिंग के लिए कॉल करते हैं तो पहले आपके पास बुकिंग कोड आता है। फिर गैस एजेंसी कैश मेमो जारी करती है। इसका विवरण भी ग्राहक के मोबाइल नंबर पर आता है। इसमें सिलेंडर के दाम के अलावा एक कोड भी होता है। इसे डिलेवरी ऑथेंटिकेशन कोड (डीएसी) कहा जाता है। जिस दिन आपके पास हॉकर सिलेंडर लेकर आता है, उसे यही कोड बताना जरूरी होगा जैसे ही यह कोड बताएंगे वह कंपनी को भेजा जाएगा। हॉकर अपने मोबाइल एप से इसे भेजेगा या फिर अपनी डायरी में नोट कर लेगा।
रोजाना 15 हजार बुकिंग
जिले में तीनों तेल एवं रसोई गैस कंपनियों के रोजाना 15 से 20 हजार सिलेंडर बुक होते हैं। फिर करीब 38 गैस एजेंसियों के माध्यम से इनका वितरण ग्राहकों को पास किया जाता है। जिले में आइओसीएल के करीब 1 लाख 90 हजार, एचपीसीएल के 2 लाख 35 हजार और बीपीसीएल के तकरीबन 2 लाख 7 हजार ग्राहक हैं। इस व्यवस्था का मकसद सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की चोरी को रोकना है। ग्राहकों को सालभर में 12 सिलेंडर सब्सिडी रेट पर मिलते हैं। यह सब्सिडी व्यक्ति के खाते में सीधे ट्रांसफर होती है। जानकारों ने बताया कि कई ग्राहक ऐसे हैं जो कि इतने सिलेंडर इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। यानि उनकी खपत कम होती है। ऐसे में वे अपने सिलेंडर हॉकर के माध्यम से किसी दूसरे व्यक्ति को उसी रेट पर दे देते हैं।