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बेनामी जमीन पर बना रहे थे टाइगर सफारी, फंसा ये पेंच

locationजबलपुरPublished: Aug 11, 2018 11:44:18 am

Submitted by:

Lalit kostha

बेनामी जमीन पर बना रहे थे टाइगर सफारी, फंसा ये पेंच
 

International Tiger Day

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जबलपुर। डुमना में नगर निगम की जमीन पर प्रस्तावित टाइगर सफारी के मामले में नया मोड़ आ गया है। डुमना स्थित 3275 एकड़ जिस जमीन को निगम अब तक अपनी बताता रहा है, वो सरकारी दस्तावेजों में उसके नाम पर दर्ज ही नहीं है। इसकी वजह से अब टाइगर सफारी की गेंद पूरी तरह से कलेक्टर और प्रदेश शासन के पाले में चली गई है। अब न निगम को टाइगर सफारी का प्रस्ताव तैयार करने की दरकार है और न ही इसके लिए मंजूरी प्रदान करने की जरूरत। यह सब जानते हुए भी दो दिन पहले हुई एमआइसी की बैठक में फिजूल प्रस्ताव लाने और उस पर सभी सदस्यों की सहमति लेने की कवायद जानबूझकर करने का भी खुलासा हुआ है।

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खुलासा: सरकारी रेकॉर्ड में नगर निगम की नहीं जमीन
अब टाइगर सफारी की गेंद कलेक्टर के पाले में
3275 एकड़ जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई
अब गया फंसा टाइगर सफारी का पेंच

1950 से निगम के नाम नहीं जमीन-
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष-893 में खंदारी जलाशय का निर्माण कराया गया था। इसके बाद खंदारी जलाशय व उससे लगी कुल मिलाकर 3275 एकड़ भूमि को म्युनिसिपल कमेटी के नाम कर दिया गया था। राजस्व अभिलेख वर्ष 1907 से 1911 के रिकार्ड में भी निगम का स्वामित्व दर्ज है। तब से इस पूरी जमीन पर निगम अपना मालिकाना हक बताता रहा है, लेकिन खुद को मालिक मान रहे निगम को यह पता ही नहीं चला कि 1950 से पूरी जमीन मप्र शासन के नाम से दर्ज हो चुकी है।

नहीं मिली जमीन के बदले जमीन
डुमना एयरपोर्ट विस्तार और ट्रिपल आइटीडीएम की स्थापना के लिए निगम सैकड़ों एकड़ जमीन के बदले जमीन की मांग करता रहा है, लेकिन उसके हाथ ढेला नहीं आया। दरअसल, जानकारों का कहना है कि ट्रिपल आइटीडीएम के लिए जमीन के बदले जमीन इसलिए नहीं मिल पाई क्योंकि उसी समय यह सामने आ गया था कि जमीन निगम के नाम रिकार्ड में ही दर्ज नहीं है। हालांकि यह जानकारी कुछ लोगों तक ही सीमित रही। अब डुमना में टाइगर सफारी की हां-ना के पेंच के बाद निगम का मालिकाना हक न होने की जानकारी खुलकर सामने आ गई है।

सहमति दी, फिर भी प्रस्ताव
फिलहाल डुमना की जमीन पर निगम का मालिकाना हक न होने का हवाला देते हुए निगमायुक्त चंद्रमौलि शुक्ला ने कलेक्टर को एक महीने पहले पत्र लिखकर टाइगर सफारी को लेकर सहमति भी जता दी थी। उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि शासन इस पर फैसला कर ले। निगम की सहमति के बाद से टाइगर सफारी की गेंद कलेक्टर के पाले में है। निगम को न प्रस्ताव पास करने की जरूरत है और न ही मंजूरी देने की। उसका सहमति पत्र ही पर्याप्त बताया जा रहा, क्योंकि डुमना की जमीन वर्तमान में शासन के नाम पर दर्ज है। यह सब जानते हुए भी एक एमआइसी सदस्य ने जबरन श्रेय लेने की होड़ में 8 अगस्त को एमआइसी की बैठक में टाइगर सफारी का प्रस्ताव लाया गया और सभी सदस्यों की हामी भी बैठक में ले ली गई।

कलेक्टर को पत्र लिखा
यह सही है कि डुमना स्थित नगर निगम के स्वामित्व वाली जमीन वर्तमान में शासकीय रिकार्ड में प्रदेश शासन के नाम पर दर्ज है। इसके कारण ही टाइगर सफारी को लेकर कलेक्टर को पत्र लिखा गया। एमआइसी में मंजूरी की वर्तमान परिस्थितियों में आवश्यकता नहीं। पत्र में सहमति दे दी है, अब प्रशासन को निर्णय लेना है।
– स्वाति गोडबोले, महापौर

निर्णय शासन को करना है
25 मार्च 1912 के रिकार्ड के अनुसार डुमना की 3275 एकड़ मालगुजारी की भूमि म्युनिसिपल कमेटी के नाम दर्ज की गई थी। वर्तमान रिकार्ड में मप्र शासन दर्ज है। टाइगर सफारी के लिए जितनी जमीन मांगी जा रही है, वह भी रिकार्ड में शासन के नाम पर है। इसी कारण कलेक्टर को पत्र भेजा गया है। टाइगर सफारी के लिए निर्णय शासन को लेना है।
– चंद्रमौलि शुक्ला, निगमायुक्त

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