एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज, मंडीदीप की ओर से अधिवक्ता आदित्य नारायण शर्मा ने तर्क दिया कि लॉकडाउन के बीच राज्य के उद्योग जगत को पटरी पर आने के लिए सरकार से कुछ राहत अपेक्षित है। दो माह से बंद उद्योगों को कम से कम बिजली बिल के सिलसिले में छूट जरूर दी जानी चाहिए। कायदे से लॉकडाउन पीरियड में बिजली की खपत शून्य होने पर इस अवधि का बिल फिक्स चार्ज के स्थान पर ‘जितनी खपत-उतना बिलÓ प्रणाली के आधार पर वसूला जाना चाहिए। इसी मुद्दे को लेकर गुरुवार को राज्य के औद्योगिक संगठनों ने ई-धरना देकर फिक्स चार्ज का विरोध भी किया था। ऑनलाइन विरोध के दौरान उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने साफ किया था कि राज्य के चार प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में जनवरी में 2660 मेगावाट बिजली की खपत हुई। अप्रैल में यह खपत कम होकर 1000 मेगावाट पर आ गई। मई में भी कमोवेश यही हालत थी। ऐसे में पूर्व की खपत के आधार पर बिल वसूली उद्योगों को शुरू करने से पहले ही परेशानी में डालने जैसा कदम होगा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि वे पुन: सरकार को अभ्यावेदन दें। इसका तीन सप्ताह में निपटारा किया जाए। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव व शासकीय अधिवक्ता राजेश्वर राव उपस्थित हुए।