high court of MP- सरकार ने प्रदेश में काम कर रहे 19 जजों को घर बैठाया, जानिए क्या है मामला
जबलपुरPublished: Oct 06, 2017 02:11:13 pm
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की अनुशंसा पर कार्रवाई
Government terminated 19 judges working in the state
जबलपुर। प्रदेश में काम कर रहे 19 न्यायधीशों को सरकार ने घर बैठा दिया है। इन सभी जजों को तत्काल सेवा से अलग किए जाने के निर्देश जारी किए गए है। सरकार द्वारा अचानक किए गए इस बड़े फैसले से न्यायिक क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। इन सभी जजों की छुट्टी करने की अनुशंसा हाईकोर्ट ने की थी। जानकारों के अनुसार सरकार कोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इसके चलते सरकार कोर्ट के ज्यूडिशियली सेटअप पर बड़ा बदलाव करने जा रही है। 19 जजों को आनन-फानन में हटाने की कार्रवाई को इस बदलाव की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है।
इन न्यायाधीशों पर गिरी गाज
देव नारायण पाटिल, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय बैतूल, विनोद भारद्वाज, द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट भोपाल, सुरेश रणदिवे, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, बुरहानपुर, योगेश कुमार सोनगरिया प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय छतरपुर, जयराम सिंह कटारिया, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, देवास, हरिशंकर वैश्य, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, गुना, अरविंद कुमार श्रीवास्तव, (जू.) अति. प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, ग्वालियर, भारती बघेल, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, हरदा, वृन्दावन लाल झा, द्वितीय अति. प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, इंदौर, श्रीमती कनकलता सोनकर, प्रथम अति. प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, जबलपुर, राजकुमार भावे, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, राजगढ़, श्रीमती लक्ष्मी शर्मा, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, रतलाम, भागचंद मलैया, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, सागर, मो. यूसुफ मंसूरी प्रधान न्यायाधीश, कुटुब न्यायालय, सीहोर, भरत सिंह जामरा, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, शहडोल, अविनाश कुमार खरे, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, शाजापुर, ओमप्रकाश शर्मा (जू.) अति. प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, उज्जैन, प्रहलाद सिंह पाटीदार, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, उज्जैन, शिशिरकांत चौबे, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, विदिशा
सेवानिवृत्ति के बाद भी टिके थे ये जज
प्रदेश के जिन 10 न्यायधीशों को सरकार ने हटाया है वे सेवानिवृत्ति के बाद एक्सटेंशन में अपनी सेवाएं दे रहे थे। इनकी पदस्थापना प्रदेश के अलग-अलग कुटुंब न्यायालयों में की गई थी। यह भी तय किया गया है कि फैमिली कोर्ट में अब सिर्फ सर्विस जजों की नियुक्ति की जाएगी, जिससे कि न्यायिक व्यवस्था में ज्यादा कसावट लाई जा सके। सूत्रों के अनुसार उपभोक्ता फोरम और कुटुंब न्यायालय में पदस्थ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की वर्किंग उतनी संतोषजनक नहीं रही है, जिससे हाईकोर्ट की िपछली फुलकोर्ट मीटिंग में बदलाव के लिए कुछ अनुशंसाएं सरकार के विधि विधायी विभाग को भेजी गई थी।
मेन ज्यूडिशियली में न्यायाधीशों की होगी वापसी
हाईकोर्ट ने यह अनुशंसा भी की है कि उपभोक्ता न्यायालयों में सर्विस जजों की नियुक्ति न की जाए। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही कंज्यूमर फोरम में पदस्थ न्यायाधीशों को मेन ज्यूडिशियली में वापस बुलाया जाने वाला है। आने वाले समय में प्रदेश सरकार का विधि विधायी विभाग स्वयं फोरम में नियुक्ति करेगा।
ये किए जा सकते है बदलाव
फैमिली कोर्ट– कुटुंब न्यायालयों में सिर्फ सर्विस जजों की नियुक्ति होगी। फैमिली कोर्ट में पदस्थ होने वाले जजों का रिटायरमेंट 60 वर्ष में होगा।
उपभोक्ता फोरम– सरकार का विधि मंत्रालय सीधे सेवानिवृत्त जजों और अधिवक्ताओं को फोरम में नियुक्त करेगा। फोरम में पदस्थ होने वाले न्यायाधीश 62 वर्ष में रिटायर होंगे।
न्याययिक व्यवस्था में बदलाव किए जा रहे है
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मो. फहीम अनवर के अनुसार उपभोक्ता फोरम और फैमिली कोर्ट की न्यायिक व्यवस्था में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं। कुटुंब न्यायालयों में पदस्थ जजों की बेदखली के कई कारण हो सकते हैं। इतना जरूर है कि सर्विस जजों की नियुक्ति होने पर न्याय प्रणाली में पहले से मजबूती आ सकेगी।