शारंग तोप प्रोजेक्ट को गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) और वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) मिलकर पूरा करना है। इस काम में आयुध निर्माणी कानपुर भी भागीदार है। चूंकि वीएफजे के दो प्रमुख उत्पाद एलपीटीए और स्टालियन सैन्य वाहन को नॉन कोर गु्रप में शामिल किया गया है। इसलिए आगामी समय में इनका उत्पादन होगा यह तय नहीं है। इसलिए आयुध निर्माणी बोर्ड ने शारंग प्रोजेक्ट में वीएफजे को भी शामिल किया है। फैक्ट्री के कर्मचारियों ने गन को अपग्रेड करने की टे्रनिंग ली है। अब जरुरी संसाधन फैक्ट्री में जुटाए जा रहे हैं। इस काम में जीसीएफ भी सहयोग कर रहा है।
बड़े प्रोजेक्ट, हल्का होगा काम
जीसीएफ के पास कई बड़े प्रोजेक्ट हैं। इन्हें समय पर पूरा करना उसके लिए बड़ी चुनौती होगी। इसलिए कुछ कामों को वह दूरी निर्माणियों में बांटना चाहता है। जीसीएफ में वर्तमान में सबसे बड़ा प्रोजेक्ट 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप का है। रक्षा मंत्रालय ने 114 तोप का बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस दे दिया है। दूसरा प्रोजेक्ट 40 एमएम एल-70 एंटी एयरक्राफ्ट गन का अपग्रेडेशन और नई गन का निर्माण है। अभी तक फैक्ट्री 3 सौ गन अपगे्रड कर चुकी है। इस साल उसे 100 गन अपग्रेड करनी है। तीसरा प्रोजेक्ट शारंग तोप का है। उसे 3 सौ तोप को तैयार कर सेना को सौंपना है।
फिर मोर्टार का उत्पादन होगा
इसी प्रकार फैक्ट्री में इस साल 120 एमएम मोर्टार का उत्पादन भी पुन: प्रारंभ होना है। वहीं 105 एमएम लाइट फील्ड गन का ऑर्डर रहता है। इस साल भी उसे करीब आधा सैकड़ा गन का ऑर्डर मिलना है। फैक्ट्री के सामने चुनौती यह है कि कर्मचारी उतने ही हैं और काम ज्यादा।
शारंग तोप प्रोजेक्ट समय पर पूरा करना है। इस काम में वीएफजे की भागीदारी ज्यादा से ज्यादा हो सके इसके प्रयास किए जा रहे हैं। इस काम के लिए वीकल फैक्ट्री के स्टाप को प्रशिक्षित किया गया है।
रजनीश जौहरी, महाप्रबंधक जीसीएफ