गुप्त नवरात्र
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार चारों नवरात्र में शक्ति के साथ इष्ट की आराधना का विशेष महत्व होता है। वहीं शिवपुराण के अनुसार दैत्य दुर्ग का वध करने के लिए मां पराम्बा ने अपने शरीर से काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुरसुंदरी और मातंगी नाम वाली दस महाविद्याओं को प्रकट कर दैत्य दुर्ग का वध किया था। दस महाविद्याओं की साधना के लिए तभी से गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। गुप्त नवरात्रि में भी आम नवरात्रि की तरह माता की पूजा की जाती है और पूरे 9 दिनों तक व्रत रखा जाता है। इस नवरात्रि को तांत्रिक सिद्धियों की पूजा करने के लिए भी सबसे उत्तम माना जाता है।
विजय दिलाती है बगलामुखी
दस महाविद्याओं में से एक बगलामुखी है। संस्कारधानी में बगलामुखी के दो प्रसिद्ध मंदिर हैं। शंकराचार्य मठ सिविक सेंटर और त्रिपुर सुन्दरी मंदिर तेवर के पास मंदिर हैं। जहां दूर-दराज के भक्त दर्शन-पूजन करेंगे। बगलामुखी मंदिर सिविक सेंटर के पुजारी ब्रह्मचारी चैतन्यानन्द ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में बगलामुखी की विधिवत पूजा की जाएगी। यह भगवती भक्तों को विजय दिलाती है।
इनका कहना है कि
गुप्त नवरात्र में शक्ति की उपासना विशेष फलदायी होती है। तंत्र साधना के साथ ही सभी देवियों की पूजा करनी चाहिए।
डॉ. सत्येंद्र स्वरुप शास्त्री, ज्योतिर्विद