गणों व गणिकाओं का पूजन
बगलामुखी शंकराचार्य मठ के प्रमुख एवं साधक ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज के अनुसार गुप्त नवरात्र में वामाचार पद्धति से मां उपासना की जाती है। यह समय शाक्य एवं शैव धर्मावलंबियों के लिए पैशाचिक, वामाचारी क्रियाओं के लिए अधिक शुभ एवं उपयुक्त होता है। इसमें प्रलय एवं संहार के देवता महाकाल एवं महाकाली की पूजा की जाती है। इसके साथ ही संहारकर्ता देवी-देवताओं के गणों एवं गणिकाओं अर्थात भूत-प्रेत, पिशाच, बैताल, डाकिनी, शाकिनी, खण्डगी, शूलनी, शववाहनी, शवरूढ़ा आदि की साधना भी की जाती है यह साधनाएं बहुत ही गुप्त स्थान पर या किसी सिद्ध श्मशान में की जाती हैं।
कमजोर हो जाती हैं देव शक्तियां
ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज के अनुसार जब भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होतें हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं। उस समय पृथ्वी पर रूद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढऩे लगता है। इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है। सतयुग में चैत्र नवरात्र, त्रेता में आषाढ़ नवरात्र, द्वापर में माघ और कलियुग में आश्विन की साधना-उपासना का विशेष महत्व रहता है।