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gupt navratri sadhana इस नवरात्रि करें इन देवियों की पूजा, भूत प्रेत और बाधाएं होंगी दूर

locationजबलपुरPublished: Jul 12, 2018 03:21:20 pm

Submitted by:

Lalit kostha

इस नवरात्रि करें इन देवियों की पूजा, भूत प्रेत और बाधाएं होंगी दूर
 

gupt navratri sadhana

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जबलपुर। आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि तारीख 13 जुलाई से गुप्त नवरात्र शुरू हो गए हैं। 21 जुलाई तक चलने वाले इस नवरात्र में प्रतिदिन दस महाविद्याओं का पूजन अर्चन होगा। इन दिनों में मां की उपासना करने से यमराज के प्रकोप का असर नहीं होता है। इसके अलावा देवी व उनके गण-गणिकाओं, भूत-पिशाच के पूजन से सिद्धियां प्राप्त करने के लिए यह समय अनुकूल माना जाता है।


गणों व गणिकाओं का पूजन
बगलामुखी शंकराचार्य मठ के प्रमुख एवं साधक ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज के अनुसार गुप्त नवरात्र में वामाचार पद्धति से मां उपासना की जाती है। यह समय शाक्य एवं शैव धर्मावलंबियों के लिए पैशाचिक, वामाचारी क्रियाओं के लिए अधिक शुभ एवं उपयुक्त होता है। इसमें प्रलय एवं संहार के देवता महाकाल एवं महाकाली की पूजा की जाती है। इसके साथ ही संहारकर्ता देवी-देवताओं के गणों एवं गणिकाओं अर्थात भूत-प्रेत, पिशाच, बैताल, डाकिनी, शाकिनी, खण्डगी, शूलनी, शववाहनी, शवरूढ़ा आदि की साधना भी की जाती है यह साधनाएं बहुत ही गुप्त स्थान पर या किसी सिद्ध श्मशान में की जाती हैं।

 

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इसलिए मनाते हैं गुप्त नवरात्र
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार चारों नवरात्र में शक्ति के साथ इष्ट की आराधना का विशेष महत्व होता है। वहीं शिवपुराण के अनुसार दैत्य दुर्ग का वध करने के लिए मां पराम्बा ने अपने शरीर से काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुरसुंदरी और मातंगी नाम वाली दस महाविद्याओं को प्रकट कर दैत्य दुर्ग का वध किया था। दस महाविद्याओं की साधना के लिए तभी से गुप्त नवरात्र मनाया जाता है।

कमजोर हो जाती हैं देव शक्तियां
ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज के अनुसार जब भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होतें हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं। उस समय पृथ्वी पर रूद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढऩे लगता है। इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है। सतयुग में चैत्र नवरात्र, त्रेता में आषाढ़ नवरात्र, द्वापर में माघ और कलियुग में आश्विन की साधना-उपासना का विशेष महत्व रहता है।

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