नाजपांडे ने सात साल पहले के सतना के सरकारी अस्पताल के अग्निकांड का हवाला भी दिया है। उस अग्निकांड में भी दर्जन भर से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। उनका कहना है कि तब भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसे पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने नोटिस जारी कर जांच का आदेश दिया था। वह कहते हैं कि तब हुई जांच में यह खुलासा हुआ था कि सरकारी अस्पताल में भी आग से निबटने का कोई ठोस इंतजाम नहीं रहा। अब हमीदिया अस्पताल में लगभग वही घटना दोहरा गई है। यानी सात साल बाद भी हालात जस के तस हैं।
बता दें कि भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आठ नवंबर को आग लगी थी, जिसमें 14 बच्चों की झुलस कर मौत हो गई। यह दीगर है कि सरकारी आंकड़ों में महज पांच मौत ही दर्शाई गई। हालांकि उस घटना के बाद प्रदेश भर के सभी अस्पतालों में आग से सुरक्षा के इंतजाम की जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके लिए 57 इंजीनियरों को लगाया गया है।