जबलपुर. शहर में कोरोना अक्टूबर में कोरोना विस्फोट हुआ। अचानक कोरोना के नए मरीजों की संख्या बढ़ गई। संक्रमण की पहली लहर के बीच अस्पतालों में बिस्तर से लेकर मरीजों की देखभाल के लिए स्टाफ की कमी पड़ गई। इस दौरान नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की सीनियर नर्स 46 वर्षीय सीमा विनीता कोविड वार्ड में मरीजों की सेवा में जुटी रही। लगातार कोरोना मरीजों की देखभाल करते हुए वे स्वयं संक्रमण की जकड़ में आ गई। कोविड पॉजिटिव मिलने के बाद उनकी सेहत लगातार बिगड़ती चली गई। उपचार के दौरान भी वह साथी कोरोना मरीजों को संक्रमण से युद्ध लडऩे का जज्बा जगाती रही। लेकिन स्वयं संक्रमण से युद्ध हार गई। अपनी साथी की असमय मौत पर न केवल साथी कर्मचारी बल्कि वहां भर्ती मरीज और उनके परिजनों की आंखें नम हो गईं। दूसरों की जिंदगी की उम्मीद जगाने वाली कोरोना योद्धा को यादगार विदाई दी। कोरोना काल में जब खून की रिश्तें भी दूर हो रहे थे। तब पूरे स्टाफ ने कॉलेज से विनीता को शहीदों की तरह विदा किया। जाते-जाते भी यह कोरोना योद्धा अपनी साथियों को संकट में एक साथ खड़े होने का हौसला दे गई। ठीक होकर दोबारा वार्ड जाना चाहती थी- एनएससीबीएमसी में विनीता की साथी नर्सों के अनुसार वह कोरोना वार्ड में कुशलतापूर्वक जिम्मेदारी सम्भाल रही थी। जूनियर नर्सेस और स्टाफ को भी बचाव के उपाय के साथ कोविड वार्ड में काम करने के लिए प्रोत्साहित करती थी। वह जब बीमार भी पड़ती तो उनके वार्ड में किसी मरीज को समस्या हो जाएं तो मदद से पीछे नहीं हुई। वह तो आखिर तक यहीं चाहती थी कि कोरोना को मात देकर वापस आए और दोबारा कोविड वार्ड में जाकर मरीजों की सेवा करें। लेकिन नियती कुछ और ही चाहती थी। वेंटीलेटर सपोर्ट से भी नहीं बची जान- कोविड वार्ड-3 की इंचार्ज सीनियर नर्स विनीता को सितंबर में कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद दो दिन तक ज्यादा समस्या नहीं हुई। उसके बाद उन्हें सांस लेने में समस्या बढऩे लगी। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। लेकिन तब तक कोरोना उन्हें बुरी तरह जकड़ चुका था। 39 सितंबर को रात में सेहत में ज्यादा गिरावट होने पर उन्हें वेंटीलेटर सपोर्ट दिया गया। उपचार के बीच 30 सितंबर को आखिरी सांस ली। 1 अक्टूबर फूलों से सजें शव वाहन में मेडिकल स्टाफ ने अंतिम विदाई दी।
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