बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था चूंकि लोकल निर्माता वैक्सीन डोज़ सप्लाई नहीं सके इसलिए ग्लोबल टेंडर जारी कर एक करोड़ वैक्सीन डोज़ जुटाने की कोशिश की गई। इस पर वकील सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा कि करीब 7.3 करोड़ की वयस्क आबादी के लिए इतने डोज़ काफी नहीं होंगे। वहीं, न्याय मित्र नमन नागरथ ने भी कहा कि कई राज्यों ने इस तरह के ग्लोबल टेंडर जारी किए लेकिन पॉज़िटिव नतीजे नहीं मिले।
राज्यों द्वारा वैक्सीन जुटाए जाने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किए जाने की प्रैक्टिस के नतीजों को लेकर हाई कोर्ट ने चिंता जताई तो दूसरी तरफ केंद्र को सलाह दी कि टीकाकरण नीति पर दोबारा विचार करना चाहिए।
बता दें कि मई महीने में मध्य प्रदेश को जितनी संख्या में वैक्सीन डोज़ दिए जाने का वादा किया गया था उससे आधे भी नहीं मिल सके। ऐसे में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस बारे में केंद्र सरकार से सवाल किया कि ‘राज्यों में ज़्यादा से ज़्यादा यूनिटें लगाकर लोकल स्तर पर ज़रूरी लाइसेंस देकर वैक्सीन उत्पादन क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा? केंद्र क्यों राज्य की ज़रूरत के मुताबिक वैक्सीन डोज़ मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी क्यों नहीं ले रहा?’ सिर्फ इतना ही नहीं, हाई कोर्ट ने इस पर गंभीरता से विचार करते हुए केंद्र को टीकाकरण पॉलिसी पर फिर विचार करने को भी कहा।