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संस्कारों की पाठशाला हैं नर्मदा के घाट, दर्शन के बिना पूरा नही होता विवाह संस्कार

locationजबलपुरPublished: May 09, 2023 11:48:08 am

Submitted by:

Rahul Mishra

जबलपुर।पुण्य सलिला माता नर्मदा के तट संस्कारधानी के लिए वरदान से कम नहीं हैं। शिवपुत्री नर्मदा को संस्कारों की पाठशाला कहा जाता है।इसलिए सनातन धर्म के लगभग सभी संस्कार भी नर्मदा के घाटों पर होते हैं। मुंडन से लेकर, कर्णछेदन, यज्ञोपवीत व मृत्यु के उपरांत अस्थि विसर्जन के लिए बड़ी संख्या में लोग हरदिन यहां आते हैं। विवाह संस्कार तो तब तक पूर्ण नहीं माना जाता, जब तक नवविवाहित युगल माता नर्मदा के दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद नहीं ले लेता। खास बात यह है कि हर संस्कार के लिए अलग अलग घाटों पर व्यवस्था है।

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घाटों पर होते हैं सनातन धर्म के सभी संस्कार
मुंडन, कर्णछेदन, यज्ञोपवीत से लेकर अस्थि विसर्जन तक के लिए है व्यवस्था, आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में आते हैं लोग
जबलपुर।
पुण्य सलिला माता नर्मदा के तट संस्कारधानी के लिए वरदान से कम नहीं हैं। शिवपुत्री नर्मदा को संस्कारों की पाठशाला कहा जाता है।इसलिए सनातन धर्म के लगभग सभी संस्कार भी नर्मदा के घाटों पर होते हैं। मुंडन से लेकर, कर्णछेदन, यज्ञोपवीत व मृत्यु के उपरांत अस्थि विसर्जन के लिए बड़ी संख्या में लोग हरदिन यहां आते हैं। विवाह संस्कार तो तब तक पूर्ण नहीं माना जाता, जब तक नवविवाहित युगल माता नर्मदा के दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद नहीं ले लेता। खास बात यह है कि हर संस्कार के लिए अलग अलग घाटों पर व्यवस्था है। आसपास के अन्य जिलों से भी मुंडन, यज्ञोपवीत व अस्थि विसर्जन के लिए लोग यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। संस्कारों को सम्पन्न कराने वाले विप्र समुदाय व अन्य लोगों के उपार्जन का भी ये घाट बड़ा जरिया बने हुए हैं। गुरु उदय होने के साथ ही ज्येष्ठ मास में शुभकार्य आरम्भ हो गए हैं। नर्मदा किनारे मुंडन, कर्णछेदन, यज्ञोपवीत कराने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है।

खुलती है विवाह की गांठ-
संस्कारधानीवासियों के मन मे नर्मदा के प्रति अगाध आस्था है। इसका प्रमाण है कि शहर में सनातन धर्म का कोई भी विवाह संस्कार तब तक पूरा नहीं माना जाता, जब तक कि नवविवाहित दम्पति नर्मदा माता के दर्शन-पूजन न कर ले। विवाह के बाद बड़ी संख्या में नवविवाहित दम्पति आवश्यक रूप से नर्मदा दर्शन करने जाते हैं। दर्शन व पूजन के बाद ही वे उस गांठ को खोलते हैं, जो विवाह के समय वर-वधू के वस्त्रों का बीच लगाई जाती है। बहुत से नवयुगल विवाह के बाद परिवार सहित नर्मदा तट पर सत्यनारायण की कथा कराते हैं।गौरीघाट निवासी नर्मदा सेवा संस्थान के सुजीत अवस्थी बताते हैं कि विवाह के सीजन में हर दिन यहां सैकड़ों की संख्या में नवदम्पति दर्शन, पूजन के लिए आते हैं।
उमाघाट, गौरीघाट में मुंडन, कर्णछेदन –
नर्मदा तट के गौरीघाट , उमाघाट, दरोगाघाट, जिलहरीघाट, तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट पर सनातन धर्म से जुड़े मुंडन, कर्णछेदन व यज्ञोपवीत संस्कारों की व्यवस्था है। इन संस्कारों के लिए निश्चित मुहूर्त में बड़ी संख्या में लोग बच्चों को लेकर पहुंचते हैं। जिस दिन भी ये मुहूर्त होते हैं, गौरीघाट सहित अन्य घाटों पर मेला सा लगता है। इन घाटों पर सत्यनारायण की कथा व हवन भी होते हैं।


नर्मदा किनारे संस्कार कराना उत्तम-
पण्डित जनार्दन शुक्ला ने बताया कि माघ, ज्येष्ठ, आषाढ़ में मुंडन, कर्णछेदन संस्कार कराने लोग बड़ी संख्या में नर्मदा तट पर आते हैं। इन घाटों पर यज्ञोपवीत संस्कार भी होते हैं। बड़ी संख्या में हरदिन बटुक यहां जनेऊ धारण करने के लिए आते हैं। इन घाटों पर ब्राह्मणों व पंडों ने इन संस्कारों को सम्पन्न कराने के लिए अपने तखत लगा रखे हैं। मुंडन, कर्णछेदन व यज्ञोपवीत के लिए बड़ी संख्या में नाई व कहार भी यहां मौजूद रहते हैं। पण्डित शुक्ला ने बताया कि भगवान शिवजी को ज्ञान और संस्कार का देवता माना जाता है। नर्मदा शिवपुत्री हैं, इसलिए नर्मदा के घाटों पर संस्कार सम्पन्न कराना उत्तम माना गया है ।

खारीघाट, तिलवाराघाट में अस्थि विसर्जन-
नर्मदा के गौरीघाट के समीप खारीघाट स्थित है। इसी तरह तिलवाराघाट में भी श्मशान के समीप खारीघाट है। इन दोनों घाटों पर लोग बड़ी संख्या में अस्थि विसर्जन के लिए पहुंचते हैं। इन दोनों घाटों पर श्राद्धकर्म व पिंडदान भी किये जाते हैं। बड़ी संख्या में पंडे, पुजारी यहां मौजूद रहते हैं।पुजारी सियाराम ने बताया कि इन घाटों पर पितृपक्ष , अमावस्या व पूर्णिमा को श्राद्धकर्म व पितृ तर्पण के लिए भीड़ लगती है।

होते हैं सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार-
नर्मदा किनारे यज्ञोपवीत संस्कार भी कराए जाते हैं। घाटों के किनारे स्थित आश्रमों में बटुकों के सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार कराए जाते हैं। उमाघाट, गौरीघाट, दरोगाघाट , तिलवाराघाट व जिलहरीघाट में यज्ञोपवीत संस्कार होते हैं। ब्राह्मण समाज के संगठन वर्ष में कई बार बटुकों के जनेऊ संस्कार करवाकर उन्हें विप्र बनाते हैं। इसी तरह गायत्री परिवार की ओर से भी सभी वर्णों के बच्चों के यज्ञोपवीत संस्कार कराए जाते हैं।
यहां से आते हैं लोग-
सनातन संस्कारों के लिए दूर-दूर से लोग नर्मदा तट पर आते हैं। आसपास के जिलों से लोग बड़ी संख्या में मुंडन, कर्णछेदन, यज्ञोपवीत संस्कारों के लिए जबलपुर स्थित नर्मदा के घाटों पर आते हैं। इसके अलावा अस्थि विसर्जन के लिए भी सिवनी, छिंदवाड़ा, दमोह, कटनी, नरसिंहपुर के लोग जबलपुर आते हैं। महाकोशल अंचल के बहुत से इलाके ऐसे हैं, जहां दाह संस्कार के बाद लोग अस्थि विसर्जन के लिए नर्मदा के गौरीघाट व तिलवाराघाट स्थित खारीघाट आते हैं।

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