दीया तले अंधेरा
मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की कवायद भी ‘दीया तले अंधेरा’ कहावत की तरह है। आम लोगों को मच्छरों और संक्रमण से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करने की सलाह देने वाले कार्यालय के अधीन अस्पतालों विक्टोरिया, एल्गिन और रांझी सिविल अस्पताल में भर्ती मरीजों को मच्छरदानी नहीं दी जा रही है। सूत्रों की मानें तो अस्पतालों के पास मच्छरदानी उपलब्ध ही नहीं है।
एक साथ रखे जा रहे मरीज
अभी तक पॉश एरिया में ही डेंगू के मरीज आ रहे थे, लेकिन अब भरतीपुर, गढ़ा, बेलबाग, घमापुर जैसे सघन इलाके में भी डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। ज्यादातर डेंगू पीडि़त निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। मरीजों को प्राइवेट वार्ड या मेडिसिन वार्ड में भर्ती किया जा रहा है। सामान्य वार्ड में दूसरे मरीजों के साथ ही डेंगू, चिकनगुनिया पीडि़त भी भर्ती है। मच्छरदानी के बिना भर्ती इन मरीजों और कुछ निजी अस्पतालों में मच्छरों के लार्वा मिलने से यहां भर्ती अन्य मरीजों और परिजन के डेंगू से संक्रमित होने की आशंका बढ़ गई है।
मच्छरों से बचाव के लिए एडवायजरी
– साफ पानी में पनपते हैं डेंगू, चिकनगुनिया के मच्छर
– गमलों, अनुपयोगी बर्तनों, पानी की टंकी, मटकों आदि का पानी बदलते रहें। – घर के आस-पास गड्ढों में लम्बे समय तक पानी जमा न रहने देंस्वास्थ्य विभाग ने सभी निजी अस्पतालों को मरीजों की जानकारी भेजने के निर्देश दिए हैं। लेकिन, ज्यादातर निजी अस्पताल डेंगू की जानकारी विभाग से छिपा रहे हैं। बिना सूचना के डेंगू पॉजीटिव मरीजों को भर्ती कर उपचार कर रहे है। मरीजों की जानकारी के अभाव में पीडि़त के क्षेत्र में सर्वे, लार्वा विनष्टीकरण और जांच की कार्रवाई नहीं होने से संक्रमण बढ़ रहा है। हैरानी वाली बात यह है कि जिला अस्पताल में डेंगू के पीडि़त नहीं पहुंच रहे हैं।
अस्पताल का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा
सीएमएचओ डॉ. मनीष मिश्रा के अनुसार सरकारी अस्पतालों में मच्छरदानी के लिए उपाय किए जा रहे हैं। निजी अस्पताल प्रशासन के निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं। डेंगू के मरीजों की जानकारी अस्पताल को छिपाना नहीं चाहिए। जांच में यदि एक भी केस पकड़ा गया तो अस्पताल का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।