स्वास्थ्य विभाग के साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से आशा कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं को चिह्नित कर आंगनबाड़ी केंद्र बुलाया जाता है। यहां एनएनम गर्भवती महिलाओं की जांच करती है। आंकड़ों के अनुसार गर्भवती महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण उनमें खून की कमी है। प्रसव केंद्र पहुंचने वाली अधिकतर महिलाओं का हीमोग्लोबिन 5 से 6 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। इसके अलावा प्रसव के पहले रक्त स्राव व प्रसव के बाद अत्याधिक रक्त स्राव भी मौत का बड़ा कारण है। उच्च रक्त चाप व मधुमेह के कारण भी मौत का ग्राफ बढ़ रहा है।
स्त्री रोग, शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं
सम्भाग के सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर सहित अन्य सुविधाएं जुटाने के दावे किए गए, परंतु कागजों से प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। सम्भाग के सरकारी अस्पतालों में स्त्री रोग विशेषज्ञ के स्वीकृत पद 113 हैं। इनमें मात्र 13 स्त्री रोग विशेषज्ञ पदस्थ हैं। 100 पद खाली हंै। शिशु रोग विशेषज्ञों के 92 स्वीकृत पदों में से 15 भरे हैं।
हर सप्ताह करते हैं जांच
आशा एवं आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा गर्भवती महिलाओं की जानकारी केन्द्र में एएनएम को दी जाती है। सप्ताह में निश्चित दिन में एएनएम आकर गर्भवती महिला की जांच करती है। विभाग की ओर से इनकी निगरानी भी की जाती है।
एमएल मेहरा, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास
नियमित रूप से होती है जांच
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। बीते 7 माह से जमीनी स्तर हाई रिस्क प्रसव केस चयनित किए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों में एनएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं की नियमित रक्त जांच, ब्लड प्रेशर जांच, शुगर जांच की जा रही है।
डॉ. संजय मिश्रा, क्षेत्रीय संयुक्त संचालक, जबलपुर संभाग