ये है मामला
तिलहरी जबलपुर निवासी प्रमोद दिनकर वाखले ने याचिका दायर कर कहा कि 24 फरवरी से नर्मदा के ग्वारीघाट के पास नर्मदा गोकुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लाखों लोगों के आने की सम्भावना हैं। सरकार नर्मदा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है। लेकिन, कुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं की गतिविधियों, स्नान आदि के चलते नर्मदा जल में प्रदूषण होगा।
ग्रीन ट्रिब्यूनल की रिपोर्ट का हवाला
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जकी अहमद ने तर्क दिया कि नदियों के तट पर कुम्भ जैसे आयोजनों से न केवल नदियों में प्रदूषण होता है, बल्कि ऐसे आयोजनों की वजह से हुई गंदगी से महामारी भी फैलती हैं। तर्क दिया गया कि कुम्भ आयोजन स्थल पर सफाई की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। टॉयलेट व अन्य जनसुविधाओं का इंतजाम इस प्रकार किया जाए कि नर्मदा में गंदगी न जाए। किसी भी सूरत में नदी के जल को प्रदूषित होने से बचाया जाना सुनिश्चित किया जाए।
निषेधात्मक कदमों का दो ब्योरा
सुनवाई के दौरान बुधवार को महाधिवक्ता शशांक शेखर ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि कुम्भ आयोजन की व्यवस्थाएं सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर की गई हैं। नर्मदा में प्रदूषण न हो इसके लिए उपाय किए जा रहे हैं। नगर निगम की ओर से अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने भी इस सम्बंध में कोर्ट को आश्वस्त करने का प्रयास किया। इस पर कोर्ट ने कहा कि कुम्भ के दौरान नर्मदा में गंदगी, प्रदूषण न हो, इसके लिए क्या किया जा रहा है, 24 घंटे के अंदर यह बताया जाए।
नर्मदा जयंती पर जमा हुआ था 32 टन कचरा
याचिका में कहा गया है कि बीते दिनों नर्मदा जयंती पर भी नर्मदा तटों पर मेला लगा था। इस दौरान श्रद्धालुओं की गतिविधियों, भंडारों आदि के चलते शहर में स्थित नर्मदा के सभी तटों पर कचरे का अम्बार लग गया था। मीडिया रिपोट्र्स का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि नर्मदा जयंती पर ही नर्मदा तटों पर करीब 32 टन कचरा एकत्र हो गया था।