मोटर मैकेनिक कादिर ने बताया, कई कारों में वायर पतले होते हैं। टेम्प्रेचर के साथ बोनट गर्म होता है, जिससे वायर पिघल जाते हैं। इसके बाद यदि वह दूसरा वायर के सम्पर्क में आए, तो स्पार्किंग होने लगती है और इंजन पर पड़ी डीजल या पेट्रोल की परत में आग लग जाती है।
इन कारणों से होते हैं हादसे
परफ्यूम : परफ्यूम को कार में सुगंध के लिए लगाया जाता है, लेकिन हवा के साथ घुलने वाले इसके रसायन आग भडक़ा सकते हैं। कोई चिंगारी उसके सम्पर्क में आ जाए, तो आग भडक़ उठती है।
ज्वलनशील पदार्थ : कई बार कार में ज्वलनशील पदार्थ जैसे माचिस, कागज, टीशू पेपर आदि रखे होते हैं। अधिक तापमान में धूप के सम्पर्क में आने पर इनमें आग लगने की आशंका रहती है।
हीटर का गर्म होना : जब एसी चलाया जाता है, तो मशीन गर्म होती है। इसका असर हीटर पर भी पड़ता है। ऐसे में हीटर पाइप के पास यदि टीशू पेपर या कागज रखा हो, तो आग लग सकती है।
गैस किट : कई कारों में गैस किट लगी होती है। लीक होने पर आग लगने की आशंका रहती है।
बैटरी या हॉर्न में स्पार्किंग : कई बार बैटरी या हॉर्न में तार सही ढंग से न जुड़े होने के कारण उनमें स्पार्किंग से आग लगने का खतरा रहता है।
इंजन पर परत : इंजन में डीजल या पेट्रोल लीक होता है, तो उसकी एक परत मिट्टी के साथ जम जाती है।
ऐसे करें बचाव
– अधिक तापमान होने पर कार को छांव में खड़ा करें।
– यदि आवश्यक न हो तो अधिक तापमान में कार को न ढंके।
– कार में परफ्यूम का प्रयोग लगातार न करें।
– माचिस, टीशू पेपर, कपड़े आदि न रखें।
– कार की वायरिंग की समय-समय पर जांच कराएं।
– एसी व हीटर की नियमित जांच कराएं।
– इंजन के ऊपरी हिस्से की सफाई करते रहें।
– कार का कांच हमेशा थोड़ा खुला छोड़ दें।
– कार में हमेशा फायर फाइटर उपकरण रखें।