थीसिस रिजेक्ट होने का डर
यूजीसी ने शोध में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तैयार किए गए सॉफ्टवेयर में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि किसी छात्र के शोध ग्रंथ में १० फीसदी कापी पकड़ी जाती है तो उसका शोध रिजेक्ट कर दिया जाएगा। उरकुंड की नजर से बचने के लिए छात्रों ने विवि की जगह बाजार का रास्ता अख्तियार कर लिया जिससे उरकुंड की पकड़ से बाहर हो गए।
पकड़ से बचने नागपुर तक दौड़
थीसिस को पकड़ से बचाने नागपुर तक छात्र दौड़ लगा रहे हैं। शहर में ही दो सेंटर इसके लिए खुल गए हैं तो वहीं एक निजी कॉलेज ने भी सेंटर खोल दिया है। विश्वविद्यालय के कामर्स और एमबीए के छात्र इस कॉलेज की ओर रुख कर रहे हैं। निजी सेंटर मोटी रकम लेकर पुरानी थीसिस चोरी किए गए पन्ने, शब्दों को बता देता है। छात्र सुपरवाइजर के माध्यम से वह बदलाव अपटूडेट कर विवि में जमा कर देता है। कापी की नकल पकड़ से दूर होने पर विवि सौ फीसदी आेरिजनल का ठप्पा लगाकर भेज देता है।
-शोध को और पारदर्शी बनाया जाएगा। यह सही है कि छात्र बाहर से जांच कराते हैं। थीसिस सबमिट करने के पहले कमेटी इंटरव्यू लेती है। प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने प्रयास किए जाएंगे।
-डॉ.कमलेश मिश्रा, कुलसचिव रादुविवि
पिछले सात सालों के दौरान विवि में जमा हुई थीसिस की जांच कराई जाए। शोध गंगा में थीसिस अपलोड न होना भी गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करता है। विवि प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।
-अभिनव तिवारी, छात्र संघ रादुविवि
फैक्ट फाइल
-250 थीसिस हर साल अवार्ड
-2018 में लगा सॉफ्टेवयर
-130 थीसिस की अब तक जांच
-30 फीसदी में दो से तीन प्रतिशत कापी
-45 फीसदी में पांच प्रतिशत कापी
-15फीसदी में आठ प्रतिशत कापी
-10 फीसदी में दस प्रतिशत कापी
……..
यह है स्थिति
-40 फीसदी कापी मिली शोध सबमिट नहीं
-10 फीसदी से अधिक कापी पर रिजेक्ट
-500 रुपए विवि सॉफ्टवेयर शुल्क
-1000 से 2500 रुपए तक बाजार शुल्क