प्रवासी मजदूरों के लिए अब काम सबसे बड़ी जरुरत है। क्योंकि, जिन कारखानों या संस्थानों में वह काम करते थे, वहां उन्हें सहारा नहीं मिला। इसलिए वे अपनों के बीच शहर और गांव वापस आए हैं। ताकि, वे यहां रहकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें। चालू कारखानों में गुंजाइश तलाशना होगी। इस दिशा में जिले में बेहतर काम होने लगा है। गारमेंट, ठेकेदार और रियल इस्टेट के बिल्डर्स अब खुद ही उनसे सम्पर्क कर रहे हैं। उनकी योग्यता और दक्षता जान रहे हैं।
जिला प्रशासन की ओर से लगभग सात हजार प्रवासी मजदूरों का पंजीयन नगर निगम एवं जिला पंचायत के माध्यम से कराया गया है। इनमें उन श्रमिकों के मोबाइल नम्बर से लेकर कार्य की प्रकृति का डाटा भी जुटाया गया है। अब इसी सूची को आधार बनाकर विभिन्न क्षेत्रों के नियोक्ता उनसे संपर्क कर रहे हैं। इसी प्रकार सरकारी विभाग भी अब पंजीयन के बाद उन्हें रोजगार दिलाने में आगे आने लगे हैं। वे अपने क्षेत्र के श्रमिकों की जानकारी नियोक्ताओं तक पहुंचा रहे हैं ।