तहसील के साईंखेड़ा और चांवरपाठा ब्लॉक के सिहोरा बोहानी के अलावा कहीं भी कॉलेज नहीं है। जबकि नगरीय निकाय स्तर के चीचली, सालीचौका के लोग कई सालों से कॉलेज की मांग कर रहे हैं। ये दोनों नगर पचासों ग्राम के केन्द्र बिन्दु हैं, बावजूद इसके यहां लोग शिक्षा व्यवस्था की बदहाली में जी रहे हैं।
शासन कर रहा है पहल
शिक्षा व्यवस्था के इन हालातों को देखते हुए शासन अपने स्तर पर पहल कर रहा है। शासन युवाओं को नए-नए तरीकों से शिक्षा के प्रति जागरूक बना रहा है, ताकि नौजवान स्कूल जाने के लिए आकर्षित हो सकें। वहीं जहां कॉलेजों का अभाव है, वहां नए कॉलेज भी बनवाए जा रहे हैं। बानगी के लिये गाडरवारा नगर में शासकीय पीजी कॉलेज के अलावा एक निजी महाविद्यालय भी बना हुआ है। इसी की तर्ज पर साईंखेड़ा में भी एक कॉलेज खोला गया है और विधानसभा तेंदूखेड़ा व चांवरपाठा ब्लॉक के पंचायत स्तर के ग्राम सिहोरा तक में एक कॉलेज उपलब्ध है।
नगर परिषद होने के बावजूद भी कॉलेज नहीं
आपको बता दें चीचली और सालीचौका को नगर परिषद का दर्जा प्राप्त है, बावजूद यहां कॉलेज की सुविधा नहीं है। नगर के धनाढ्य लोग तो अपने बच्चों को महानगरों गाड़रवारा और पिपरिया भेज देते हैं। लेकिन जो आर्थिक रूप से सम्पन्न नहीं हैं, उन्हें मजबूरन बेटियों को 12 वीं के बाद घर बिठाना पड़ता है। वहीं सालीचौका, चिंचली के जो नौजवान महानगरों में अध्ययन कर रहे हैं, वे कोविड़ महामारी से उपजे हालात, अधिक किराए जैसी समस्याओं से चिंतित है। इसीलिए युवा नगर में कॉलेज खोलने की मांग कर रहे हैं।
विद्यार्थियों ने किया दर्द बयां
चीचली की छात्रा रिचा ताम्रकार ने बताया मैं गाडरवारा के कॉलेज में पडती हूं, वहां से आने-जाने में 100 रुपए का खर्चा आता है, घण्टों वाहन का इंतजार करना पड़ता है। वहीं अधिक भीड़भाड में संक्रमण का खतरा भी झेलना पड़ता है। जबकि सालीचौका के पूर्व छात्र आनंद चौकसे ने नगर की बदहाल शिक्षा पर दुख जताते हुए कहा, सालीचौका के विद्यार्थी जबलपुर, पिपरिया एवं गाडरवारा में पड़ने जाते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के बाद छात्रों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। ट्रेनें अधिक चलती नहीं है, जिससे अपडाउन में किराया बहुत लगता है। नगर में कॉलेज खुलने से स्टूडेंट्स को इन सभी समस्याओं से निजात मिल सकेगा।