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जबलपुर

हनुमान जयंती : यहां बजरंगबली को स्पर्श करती है सूर्य की पहली और आखिरी किरण, देखें वीडियो

हनुमान जन्मोत्सव : संस्कारधानी में उमड़ा भक्तों का सैलाब

जबलपुरApr 19, 2019 / 05:00 pm

abhishek dixit

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जबलपुर. संस्कारधानी के ऐतिहासिक हनुमान मंदिर सिद्ध पीठ अपनी भव्यता के लिए विख्यात हैं। इनके विविध स्वरूपों के साथ इनसे कई मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। ये हनुमान दरबार भगवान के अलग-अलग नामों से भी विख्यात हैं, जो भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। सुबह से शाम तक यहां भक्तों की कतार लगी रहती है।

देवताल स्थित हनुमान मंदिर में भगवान की 52 फिट उंची प्रतिमा श्रृद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ी पर इस देवधाम में वैज्ञानिक दृष्टिकाण पर आधारित शिवलिंग के साथ ही भगवान हनुमान की करीब 52 फुट ऊंची प्रतिमा है। स्थानीय निवासी गजेंद्र दुबे के अनुसार प्रतिमा का निर्माण वैज्ञानिक शिव प्रसाद कोष्टा के निर्देशन में हुआ है। करीब बीस वर्ष पहले स्थापित यह प्रतिमा गढ़ा सहित पूरे क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र है। मंदिर में भगवान की चरण पादुकाएं है। इसके पूजन के लिए श्रृद्धालु आते है। यहां अन्य प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है। स्थानीय लोगों का मत है कि पहाड़ी पर स्थित इस प्रतिमा की स्थिति कुछ इस तरह है कि सूर्य की पहली एवं अंतिम किरण तक स्पर्श करती है।

शनिदेव को पैरों में दबाए हुए हैं हनुमानजी
नर्मदातट ग्वारीघाट के समीप खारीघाट के समीप सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी हैं। यहां पर हनुमानजी की भव्य दक्षिण मुखी प्रतिमा पीपल के पेड़ के नीचे विराजयमान हैं। हनुमानजी पैर में शनिदेव को दबाए हुए हैं। मंदिर समिति के सदस्य ओंकार दुबे के अनुसार यह हनुमानजी की जागृत अवस्था में प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी भक्त हनुमानजी के दर्शन के लिए आते हैं उन्हें शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।

अंग्रेज अफसर ने स्थापित किया था पाटबाबा मंदिर
गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) इस्टेट स्थित श्री स्वयंसिद्ध पीठ पाटबाबा मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार के अलावा हनुमान जयंती पर विविध धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। यहां देश-विदेश से भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की स्थापना फैक्ट्री की स्थापनाकाल के समय वर्ष 1903 में हुई थी। मंदिर के पुजारी प्रमोद पाठक ने बताया कि जब फैक्ट्री की स्थापना हो रही थी तो उसमें बाधा आई। यह स्थिति कई बार निर्मित हुई। फिर निर्माणी के ब्रिटिश लेफ्टिनेंट कर्नल स्टेनली स्मिथ को स्वप्न देकर बताया कि मेरा स्थान निर्माण क्षेत्र आ रहा है। पहले मेरी स्थापना खुले क्षेत्र में सबसे दर्शनार्थ की जाए। तभी फैक्ट्री की स्थापना का कार्य सफल होगा। फिर पहाड़ी पर मंदिर बनाया गया।

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