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यहां तो कोरोना सर्वे में ही हो गया गोलमाल!

locationजबलपुरPublished: Jun 04, 2020 09:09:59 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर शहर में कोरोना रेकॉड्र्स में फर्जीवाड़े के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को लिया आड़े हाथ

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जबलपुर। कोरोना संक्रमण जबलपुर शहर में विदेश से आया। खतरे से बचाव और संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कई सर्वे किए। लेकिन, संदिग्धों की पहचान कर उनकी जांच के बजाय खानापूर्ति होती रही। इससे संक्रमण ने आधे शहर को अपनी जद में ले लिया। कोरोना से एक मौत के बाद संक्रमण बेकाबू हो गया। शव सौंपने में चूक के बाजवूद मृतक तक संक्रमण पहुंचने का पता आज तक स्वास्थ्य विभाग नहीं लगा सका। कोरोना संदिग्धों को क्वारंटीन करने और उनकी जांच में भी कोताही हुई। तमाम कवायद के बाद भी ज्यादा संख्या में जांच नहीं करा पाए। संक्रमण की रफ्तार नहीं थमने पर रेकॉड्र्स में फर्जीवाड़ा कर स्थिति बेहतर दिखाने की कोशिश महंगी पड़ गई। मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया तो उन्होंने अधिकारियों को रोकथाम के लिए गम्भीर प्रयास करने के निर्देश दिए। इसके बावजूद आंकड़ों में हेराफरी जारी है।

कोरोना संक्रमण से लड़ाई में प्रशासनिक मशीनरी एकजुट नजर नहीं आई। स्वास्थ्य विभाग की रणनीति से निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। संक्रमण की गति कुछ धीमी पड़ी तो अधिकारियों की कुर्सी को लेकर उठापटक शुरू हो गई। प्रमुख अधिकारी कुर्सी बचाने के लिए भागदौड़ करते रहे। इस बीच ढिलाई से संक्रमण पर कसी लगाम फिसल गई। जानकारों की मानें तो कुछ मामलों में मरीजों के संक्रमण का स्रोत ज्ञात नहीं कर पाने के बावजूद कंटेनमेंट जोन में ज्यादा संख्या में सैम्पल की जांच नहीं हुई। संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों की पहचान करने में भी रवैया ढुलमुल रहा। कम संख्या में नमूने लिए जाने से बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों की जल्दी पहचान नहीं हो सकी। कई नए इलाकों में पॉजिटिव मिल रहे हैं। सामुदायिक संक्रमण जैसी स्थिति निर्मित हो गई है।
लापरवाही से बढ़ी चेन
– दो दिन पहले कोरोना संक्रमित मिली एक प्रसूता पूर्व संक्रमित की रिश्तेदार है। कॉन्टेक्ट हिस्ट्री पर सर्वे टीम कुछ दिन पहले प्रसूता के घर गई थी। परिजन ने जानकारी दिए बिना टीम को लौटा दिया। संदिग्ध की जांच के प्रयास नहीं हुए।
– लॉकडाउन के बीच इंदौर, भोपाल, पुणे सहित अन्य शहरों से निजी वाहनों से कई लोग शहर आए। जानकारी देने के बावजूद जांच के लिए टीम उनके घरों में नहीं पहुंची।
– चांदनी चौक, सर्वोदय नगर जैसे इलाकों में पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद भी संबंधित व्यक्ति को 12 से 20 घंटे बाद अस्पताल में आइसोलेट किया गया।
– शुरुआती दौर में क्वारंटीन सेंटर में संक्रमित मिले व्यक्ति के क्लोज कॉन्टेक्ट में आए लोगों के साथ बाहर से आए संदिग्धों को ठहराया गया।
– संदिग्धों के अस्पताल पहुंचने पर भी शुरुआत में नमूने की जांच नहीं कराई गई। घर वापस भेजा। तबियत बिगडऩे पर जांच में पॉजिटिव मिले।
– सिहोरा में बाहर से आए एक युवक को क्वारंटीन सेंटर में रखा गया। नमूने की जांच रिपोर्ट का इंतजार किए बिना क्वारंटीन अवधि पूरी होने पर डिस्चार्ज कर दिया। बाद में रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
प्रशासनिक लापरवाही भी पड़ी भारी
– संदिग्धों का पता लगाने के लिए कई बार सर्वे किए। पिन प्वाइंट सर्वे नहीं हुए। क्षेत्र की जानकारी रखने वाले स्टाफ का सही उपयोग नहीं होने से अधूरी जानकारी मिली।
– कंटेनमेंट जोन में सर्वे के दौरान गर्भवती महिलाओं की पहचान कर जांच पर जोर दिया जिससे अस्पताल आने से पहले संक्रमण की जानकारी मिल सके और संक्रमण का फैलाव रोका जा सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
– कुछ क्षेत्रों में लगातार कोरोना संक्रमित मिले। शुरुआती दौर में उन क्षेत्रों में सर्वे ठीक से नहीं हुआ। संदिग्धों की पहचान समय पर नहीं होने से संक्रमण बढ़ता गया।
– शुरुआत में सात-आठ टेस्ट हो रहे थे। अब औसतन 150 टेस्ट हो रहे हैं। आबादी के लिहाज से यह संख्या बेहद कम है।
– जिन परिवारों में संक्रमित मिले और कॉन्टेक्ट हिस्ट्री सामने आई, जांच की सुविधा कम होने से संक्रमितों के परिवार के प्रत्येक सदस्य की जांच नहीं कराई गई।
– सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराने में प्रशासन असफल रहा। कोरोना हॉटस्पॉट वाले कुछ क्षेत्रों में लॉकडाउन का भी पालन नहीं हुआ। बचाव के उपाय तक के लिए लोगों को बाध्य नहीं किया जा सका।
– प्रतिबंधि के बावजूद अंतिम संस्कार में प्रोटोकॉल से ज्यादा लोग शामिल हुुए। लॉकडाउन अवधि में कुछ लोगों ने पार्टियां की। कफ्र्यू टाइम पर भी लोग बिना मास्क के सड़कों पर घूमते रहे।

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