scriptअरे, हमें पौआ तो दे दो गुरू | Hey, give us a paw so guru | Patrika News

अरे, हमें पौआ तो दे दो गुरू

locationजबलपुरPublished: Feb 24, 2019 08:47:29 pm

Submitted by:

manoj Verma

पुलिस-आबकारी बेखबर, देर रात शटर के नीचे से बेची जा रही शराब

wine shop

देर रात शटर के नीचे से बेची जा रही शराब

जबलपुर। काए… गुरू एक पौआ दे दो। सुन रहे हो, हम छोटू हैं। दुकान बंद हो गई है नहीं मिलेगा। अरे, बड्डा हमें नहीं पहचाना सोनपुर वाले हैं। जल्दी दे दो भाई। कौन सा चाहिए? ओसी दे दो। ठीक है, 130 दो। कल तक तो 120 में दे रहे थे। लेना हो तो लो नहीं तो समय मत खराब करो। यह बातचीत शराब दुकान बंद होने के बाद शराब लेने पहुंचे ग्राहक और बंद दुकान के भीतर मौजूद कर्मचारी के हैं। जहां, आधी रात शहर की शराब दुकानों में गुरू, बड्डा सुनते ही शटर के नीचे से शराब दे दी जाती है। यह एक दुकान में नहीं होता है बल्कि सभी शराब दुकानों के गद्दीदारों का कोई न कोई वर्ड बनाकर रखा है, जिसका सुनते ही शराब दुकान बंद होने के बाद भी शराब मुहैया करवा दी जाती है। रात के अंधेरे में जब नाइट रिपोर्टर ने इन जगहों का जायजा लिया तो देखा कि यहां न तो निगरानी थी और न ही पुलिस की कोई व्यवस्था। सब मनमाने ढंग से काम चल रहा था। रात दो बजे भी आसानी से लोगों को शराब मिल रही थी।
दो इंच उंची रहती है शटर
शराब दुकानों की शटर करीब दो इंच उंची थी, जिससे शराब की बोतल आसानी से निकल रही थी। शटर का ज्यादातर हिस्सा काउंटर में दबा था, लेकिन साइड में करीब दो फीट का हिस्सा बचा था, जिससे मांग के मुताबिक दुकान बंद होने के बाद शराब बेची जा रही थी। यहां शराब लेने आने वाले बंद शटर में कोड के मुताबिक खटखटाते थे, जिससे दस्तक मिलते ही दुकान के अंदर का कर्मचारी शटर के नीचे से पैसा लेकर उन्हें आधी रात शराब दे रहा था।
ये थे हालात
दमोहनाका
दमोहनाका चौराहे के मेन रोड पर चौक से कुछ ही दूरी पर अंग्रेजी शराब दुकान की शटर बंद थी। दुकान के पास ही एक ए्बुलेंस और अन्य दो वाहन खड़े थे। यहां बाइक से दो युवक आए और उन्होंने पुराने बस स्टैंड के पास अपना वाहन खड़ा किया। वाहन खड़ा करने के बाद मोबाइल पर किसी से बातचीत की और शटर में एक हाथ मारा और ‘गुरू’ नाम से संबोधित किया। गुरू सुनते ही दुकान के कर्मी ने पूछा। युवकों ने उन्हें शटर के नीचे से पैसे दिए और मनचाहे ब्रांड की शराब लेकर चलते बने।
बल्देवबाग
अंग्रेजी शराब दुकान बंद थी। यहां दो बाइक पर अलग-अलग युवक खड़े हुए थे। दुकान के अंदर से बैग लेकर एक व्य.ित निकला और बाइक लेकर चलता बना। वहां खड़े युवक एक अन्य व्य.ित से बात करते रहे, जिसने उन्हें वहां से दूर जाने की बात कही। थोड़ी देर बाद वह दुकान के किनारे गया, जहां उसने वहां पैसे देकर शराब खरीदी और शराब लाकर बाइक वाले युवकों को दे दी।
रानीताल
रानीताल चौक के पहले अंग्रेजी शराब दुकान के बाजू में बना अहाता देर रात तक खुला था। अहाते के बाहर दो पहिया वाहन खड़े थे। यहां बाइक पर सवार होकर युवक आ रहे थे, जो सीधे आहते के अंदर जा रहे थे। अंदर जाने के बाद वे शराब लेकर आ रहे थे। युवकों से जानकारी ली गई तो उनका कहना था कि अंदर से दुकान जुड़ी हुई थी, वहां एक खिड़की से शराब मिल रही है।
स्टेडियम मार्ग
स्टेडियम मार्ग पर शराब दुकान के बाहर हर दो पहिया वाहन शराब लेने के लिए रुक रहे थे। दुकान के पास एक युवक खड़ा था। वह कुछ इशारा कर रहा था, जिससे वाहन चालक दुकान के सामने गली में जा रहे थे। मौके पर पूछताछ की गई तो उसका कहना था कि वह हर शराब मुहैया करवा देगा लेकिन दुकान से दूर हो जाओ।
शराब दुकानों पर नजर रखी जाती है। थाना पुलिस मौके पर पहुंचती भी है। रात में चोरी-छिपे शराब बिकने की जानकारी नहीं है। पुलिस को इस मामले में अलर्ट किया जाएगा।
राजेश त्रिपाठी, एएसपी सिटी
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