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जबलपुर

रेल हादसों से बचा रही हाईटेक डिवाइस, ट्रेनों की चाल भी हुई तूफानी

पमरे के आधुनिकीकरण से यात्रियों को सुरक्षित सफर, हाई स्पीड ट्रायल लेने वाला देश का पहला रेल जोन जबलपुर
 

जबलपुरJun 28, 2021 / 07:04 pm

shyam bihari

 

जबलपुर। तकनीक के बल पर रेलवे ने हादसों पर ब्रेक लगाया है। हाल ही में जबलपुर के पास सिहोरा की खितौला रेलवे क्रॉसिंग के बीच एक बस के खराब होकर रुक जाने और ट्रेन आने के भय से यात्रियों में घबराहट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। लेकिन, अच्छी बात है कि रेलवे की नई तकनीक के कमाल से अब ऐसी स्थिति में टे्रन और बस की टक्कर की आशंका नहीं है। पश्चिम मध्य रेल के खितौला रेलवे फाटक और उसके पास लगे सिग्नल आधुनिक डिवाइस से जुड़े हैं। ये डिवाइस ऑटामेटिक कार्य करते हैं। जब तक फाटक पूरी तरह बंद नहीं होता, ट्रेन को आगे बढऩे के लिए ग्रीन सिग्नल नहीं मिलता। यही वजह रही कि चार दिन पहले जब खितौला रेल क्रॉसिंग पर बस खड़ी हो गई, तो उसका फाटक बंद नहीं हुआ। इससे सिग्नल में लाल बत्ती जलती रही। सामने आ रही ट्रेन फाटक से लगभग ढाई सौ मीटर पहले ही रुक गई। इस तरह की कई आधुनिक तकनीक का प्रयोग पमरे की ओर से यात्रियों को बेहतर और सुरक्षित सफर देने के लिए किया जा रहा है। इन तकनीकों से लैस होकर आधारभूत संरचना को मजबूती देने से ट्रेनों की रफ्तार भी बढ़ी है। तेजी से नई तकनीक पर काम करने के कारण पमरे हाई स्पीड ट्रायल लेने में भी अन्य जोन के मुकाबले आगे है।
पहले : मानव भूल पर दुर्घटना का रहता था खतरा
रेलवे क्रॉसिंग पर एक गेट मेन होता था। कोई ट्रेन क्रॉसिंग से गुजरने वाली होती थी, तो नजदीकी स्टेशन मास्टर गेटमैन को सूचित करता था। उसके बाद रेल कर्मी गेट बंद करता था। इसकी सूचना स्टेशन को देता था। तब ट्रेन को फाटक से गुजरने का ग्रीन सिग्नल मिलता था। इस प्रक्रिया में मानव चूक पर ट्रेन के खुले फाटक से गुजरने और दुर्घटना का खतरा रहता था।
अब- 250 मीटर पहले थम जाते है ट्रेन के पहिए
रेलवे गेट इंटरलॉकिंग सिस्टम वाले हैं। क्रॉसिंग के दोनों ओर लगे सिग्नल को गेट के इंटरलॉक सिस्टम से जोड़ दिया गया है। टे्रन आने की सूचना पर फाटक बंद किया जाता है, तो बैरियर गिरकर बूम (फाटक के दूसरे ओर का पाइप) पर गिरता है। जब वह लॉक (फंस जाता है) हो जाता है, तब सिग्नल को फाटक बंद होने का संकेत मिलता है। सिग्नल में हरी बत्ती जलती है। वरना सिग्नल रेड रहता है। ट्रेन फाटक से 250 मीटर पहले ही रुक जाती है।
बेहतर रेल संरचना कर रहे तैयार
-पमरे के अंतर्गत कोई भी रेलवे क्रॉसिंग खुली नहीं है। पांच वर्ष पहले ही जो गेट खुले थे, उन्हें बंद करके रोड अंडर ब्रिज बना दिया गया था। जहां ब्रिज नहीं बन सकता था, वहां रेल कर्मी की तैनाती कर दी गई है।
-सभी रेल मार्ग पर मैकेनिकल सेमाफोर सिग्नल हटाकर कलर लाइट सिग्नल स्थापित कर दिया गया है। नए सिग्नल रात के समय, खराब मौसम और कोहरे के दौरान चालक को दूर से आसानी से नजर आते हैं। पुराने सिस्टम में सिग्नल स्पष्ट नहीं दिखने के कारण ट्रेन के धीमी चलने और लेटलतीफी की समस्या अब कम हो गई है।
-पमरे के तीनों रेल मंडल में रेलवे ट्रैक को मजबूत किया गया है। लूप लाइन का रखरखाव कर क्षमता बढ़ाई जा रही है। रेल पुलों के गॉर्डर बदलने के साथ उन्हें ज्यादा सुरक्षित बनाया है। जोन में लगभग पूरा ट्रैक विद्य़तीकृत हो चुका है।
-विद्युतीकृत रेलपथ में ओएचई वायर रखरखाव और निरीक्षण के लिए नए टावर वैगन उपयोग किए जा रहे हैं। आठ व्हीलर इलेक्ट्रिक टॉवर कार (डीईटीसी) में फोर एक्सल में दोनों सिरों पर ड्राइविंग केबिन होने की वजह से यह किसी भी ओर तेजी से जा सकता है।
-एंटी वेल्ंिडग की गुणवत्ता में सुधार किया जा रहा है। ट्रैक पर जोड़ वाली जगह पर उच्च तकनीक सिंगल शॉट वेल्डिंग प्रणाली का प्रयोग करके रेल लाइन को ज्यादा मजबूत बनाया जा रहा है।
– ट्रैक की मरम्मत में आधुनिक टैम्पिंग मशीन का प्रयोग हो रहा है। इससे पैकिंग, अलाइनमेंट और लोंगिट्यूडनल लेवल जल्दी ठीक होता है।
– मालगाड़ी की गति नापने के लिए ट्रैक पर ओएमआरएस (ऑनलाइन मॉनिटरिंग रॉलिंग स्टॉक) लगाया है। इससे गति पर निगरानी के साथ रेल पथ की क्षमता का पता चलता है। डब्लूआइएलडी (व्हील इम्पेक्ट लोड डेडक्टर) उपकरण से वैगन की असामान्य स्थिति की भी तत्काल जानकारी मिलती है। फ्रेट लोडेड वैगनों में कोई खराबी आती है, तो ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से तुरंत सूचना प्राप्त हो जाती है।
रफ्तार का बना रहे रेकॉर्ड
-बीना से कटनी, भोपाल और गुना रेलखंड में बीओएक्सएनएचएल वैगन फ्रेट लोडेड मालगाडिय़ों की गति बढ़कर 75 किमी प्रतिघंटा हुई। ये पहले 60 किमी प्रतिघंटा थी।
-पमरे के अंतर्गत लूप लाइन को मजबूत बनाकर उसमें ट्रेन संचालन की औसत गति बढ़ाकर 50 किमी प्रतिघंटा तक की गई है। ये पहले 25-30 किमी प्रतिघंटा थीं।

-मालगाडिय़ों की रफ्तार में वृद्धि से यात्री सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के अवसर बढ़े। ट्रैक पर यात्री ट्रेनों को चलाने में और जगह बनेगी।
– पमरे के इटारसी-बीना और मथुरा-नागदा के दो ट्रंक मार्गों में ट्रेन की गति 130 किमी प्रति घंटे तक बढ़ा दी गई है।
– डीजल और एसी, दोनों से चलने वाले डब्लूडीएपी-5 (ड्यूल ट्रैक्शन हाई पॉवर का लोकोमोटिव) इंजन का हाई स्पीड ऑसिलेशन ट्रायल कोटा-नागदा सेक्शन में 150 किमी प्रति घंटे की गति से किया।
– थ्री टायर इकोनॉमी कोच के लिए भोपाल और कोटा मंडल में 130 से 180 किमी प्रतिघंटा की गति में हाई स्पीड पर 65 ट्रायल रन सफलतापूर्वक किए गए।

यात्रियों को बेहतर, सुरक्षित और जल्दी गंतव्य तक पहुंचाने के लिए रेलवे की आधारभूत संरचना में आधुनिक तकनीकों का समावेश हुआ है। नई तक का पमरे में तेजी से उपयोग हो रहा है। देश में सबसे तेज गति से पमरे में मालगाडिय़ों का परिचालन हो रहा है। कई तकनीकों और योजनाओं को लागू करने में पमरे पहले क्रम पर है।
आइए सिद्दीकी, जनसम्पर्क अधिकारी, पश्चिम मध्य रेल

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