स्कूल निदेशक वर्षा शर्मा ने बताया कि आंद्रिया थुमसिरन 35 छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण दे रही हैं। हालांकि उन्हें हॉकी विलेज इंडिया को आगे बढ़ाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा। पूर्व में गढ़ हिम्मतसिंह व मंडावर बालिका विद्यालय के खेल मैदान में बनने वाले हॉकी एस्ट्रोटर्फ के सामान को भी लेकर जटवाड़ा आ चुकी हैं। जहां उन्होंने निजी स्तर पर 13 लाख रुपए में 4 बीघा जमीन खरीदकर उसे मैदान का रूप दिया है।
गांव के बच्चे बने नेशनल खिलाड़ी आंद्रिया खेल व पढ़ाई दोनों को एक साथ लेकर बच्चों का चहुंमुखी विकास कर रही हैं। खास बात हैकि शिविर में जर्मनी से अनेक हॉकी खिलाड़ी आकर 3 से 6 महीने का प्रशिक्षण बच्चों को देते हैं। साथ ही बच्चों को अंग्रेजी भी सिखाते हैं और इसी का परिणाम है कि जटवाडा गांव से अनेक बच्चे अब तक नेशनल टूर्नामेंट खेल चुके हैं।
राधिका शर्मा व शिवानी साहू राष्ट्रीय लेवल पर अंडर-14 व अंडर 17 हॉकी टीम की सदस्य रह चुकी हैं। वहीं सोहेल खान, अजय मीणा, सचिन मीणा लखनऊ टूर्नामेंट में खेल चुके हैं। ललित जांगिड़ व लोकेश सैन व दीपक बारी भी कइई टूर्नामेंट खेल चुके हैं।
इसके अलावा आंद्रिया बच्चों को जर्मनी ले जाकर वहां के पर्यावरण में भी ट्रेनिंग दे चुकी हैं। यह बच्चों को विशेष अनुभव होता है। आंद्रिया का साथ देने आए ऑस्कर डीके जर्मनी ओलंपिक गोल्ड विनर 2012 टीम के सदस्य रह चुके हैं। इसके अलावा 2010 हॉकी वल्र्ड कप में सिल्वर, यूरोपियन चैंपियनशिप में दो बार गोल्ड, दो बार सिल्वर, चैंपियंस ट्रॉफी 2009 में सिल्वर मेडल विजेता टीम के भी सदस्य रहे हैं।