20 सालों में सरकार ने क्या किया बता दें, सुनवाई के दौरान जब प्रदेश के महाधिवक्ता ने ये कहा कि जो सत्तर सालों में नहीं हुआ वो प्रदेश में अब हो रहा है, तो हाई कोर्ट ने तल्खी दिखाई। हाई कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि उन्हें 70 सालों से कोई मतलब नहीं है, लेकिन मौजूदा सरकार 20 सालों से प्रदेश में है। वो ये बताए कि इन 20 सालों में उसने क्या किया।
जैसा कोर्ट ने कहा सरकार ने नहीं किया कोरोना काल में अस्पतालों की लूट पर तीखी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि जैसा आदेश दिया था वैसा सरकार ने नहीं किया, जिसके चलते आज भी निजी अस्पताल जनता को लूट रहे हैं। हाई कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि सरकार ने निजी अस्पतालों में इलाज की अधिकतम दरें तय नहीं कीं और अब सरकार कह रही है कि वो निजी अस्पतालों की दर नियंत्रित नहीं कर सकती। बता दें कि राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब पेश किया कि निजी अस्पतालों की दरें तय करना व्यवहारिक नहीं है और वो ऐसा नहीं कर सकती।
सरकार ने निजी अस्पतालों को दी छूट कोर्ट ने पाया कि सरकार के पास कोरोना पूर्व इलाज की दरों का कोई आंकड़ा ही नहीं था। निजी अस्पतालों ने चालीस फीसदी दरें बढ़ाने के नाम पर मनमानी दरें बढ़ाईं, जिसे राज्य सरकार की वेबसाइट पर अपलोड भी कर दिया गया। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने अस्पतालों में इलाज की अधिकतम दरें तय करने की बजाय खुद निजी अस्पतालों को ही मनमानी दरें तय करने की छूट दे दी, जो हाईकोर्ट के मूल आदेश के खिलाफ है।
कोर्ट ने निजी अस्पतालों में इलाज की दरें तय करने का फिर दिया आदेश सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो निजी अस्पतालों की दरें तय करने पर निर्णय ले। यहां बता दें कि यही आदेश हाई कोर्ट ने करीब एक मही पहले भी राज्य सरकार को दिया था। अब हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और कोर्ट मित्र नमन नागरथ को आदेश दिया है कि वो निजी अस्पतालों की विभिन्न श्रेणियों में इलाज की अधिकतम दरें तय करने पर विचार करें और अपना जवाब हाई कोर्ट में पेश करें। हाईकोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 24 मई की तारीख तय की है।