सीवर, पेयजल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर नगर निगम के कार्य से हाईकोर्ट नाराज
जबलपुरPublished: Jan 27, 2020 09:59:31 pm
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व नगर निगम से मांगी स्टेटस रिपोर्ट
जबलपुर.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर नगर निगम द्वारा सीवर, पेयजल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर नगर निगम के कार्य पर नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व नगर निगम से स्टेटस रिपोर्ट मांगी।
जबलपुर में सुनवाई के दौरान सीवर, पेयजल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के कार्यो में लापरवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान नगर निगम के कार्य से हाईकोर्ट नाराज जबलपुर विकास कार्यों के लिए जबलपुर नगर निगम को इंदौर व भोपाल की तुलना में कम फंडिंग किए जाने का का मसला सोमवार को एक बार फिर मप्र हाईकोर्ट के समक्ष उठा। इस बार स्वयं महाधिवक्ता शशांक शेखर ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वे राज्य सरकार के सामने यह बात रखेंगे। वहीं नगर निगम की ओर से पेश सीवर लाइन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग के काम की रिपोर्ट पर कोर्ट ने असंतोष जताते हुए कहा कि मजबूरन उन्हें दखल देना पड़ सकता है। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस वीके शुक्ला की बेंच ने राज्य सरकार व नगर निगम से ५ फरवरी तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा।
-यह है मामला
मप्र हाईकोर्ट ने जबलपुर नगर निगम द्वारा बनाई जा रही सीवर लाइन का काम बरसों से अधूरा पड़ा होने के चलते शहर में जलभराव के मसले पर स्वत: संज्ञान लेकर २० सितंबर 2017 को यह याचिका दायर की। कांग्रेस नेता सौरभ शर्मा ने भी इसी मसले पर 2019 में याचिका दायर की। दोनों याचिकाओं की सुनवाई एक साथ की जा रही है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि शहर में सीवर लाइन का काम कहीं भी पूरा नहीं हुआ है। इसके चलते शहर की जलनिकासी व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो चुकी है। जरा सी बरसात में ही शहर की सड़कें चलने योग्य नहीं रह जातीं। जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। सीवर ट्रीटमेंट प्लांटों की भी कमी है।
ननि ने कहा-वाहन बढ़ाए पर कोर्ट नाखुश
सोमवार को नगर निगम की ओर से अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने स्टेटस रिपोर्ट पेश कर बताया कि सीवर लाइन का काम जारी है। अभी पूरा नहीं हुआ। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में भी कार्य किया जा रहा है। कचरा उठाने वाले वाहनों की संख्या बढ़ा दी गई है। खराब वाहनों को दुरुस्त कराया गया। ठेकेदार के पास भी वाहन बढ़े हैं। इस पर कोर्ट ने तगड़ा असंतोष जताया।
नगर निगम की रिपोर्ट पर बेंच ने ओपन कोर्ट में कहा कि इससे काम की सुस्त रफ्तार स्पष्ट है। हम नगर निगम या सरकारी काम में हस्तक्षेप नहीं करते। लेकिन परिस्थितियां एेसी बन रही हैं कि मजबूरन हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। कोर्ट मित्र की भूमिका में अधिवक्ता अनूप नायर व सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशांक शेखर के साथ शासकीय अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा उपस्थित थे।