scriptहाईकोर्ट का आईपीसी में संशोधन को चुनौती पर जवाब-तलब | high court ask state for amendment of IPC | Patrika News

हाईकोर्ट का आईपीसी में संशोधन को चुनौती पर जवाब-तलब

locationजबलपुरPublished: Feb 07, 2019 01:38:47 am

Submitted by:

mukesh gour

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य से पूछा, आईपीसी में संशोधन को चुनौती पर जवाब-तलब

high court jabalpur judgement news in hindi

high court jabalpur judgement news in hindi

जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि दुष्कर्म के मामलों में आरोपी पुरुषों के नाम दोषी सिद्ध हुए बिना क्यों उजागर कि ए जाते हैं? जबकि पीडि़त का नाम गुप्त रखा जाता है। चीफ जस्टिस एसके सेठ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने बुधवार को केंद्र व राज्य शासन के विधि विधायी कार्य विभागों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब-तलब किया।
जबलपुर निवासी डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान ने याचिका दायर कर कहा कि 25 दिसम्बर 1983 को भारतीय दंड विधान संहिता में नई धारा-228 (ए) जोड़ी गई, इसमें व्यवस्था दी गई कि यौन शोषण के मामलों में पीडि़ता का नाम गुप्त रखा जाएगा। अधिवक्ता अजय रायजादा और अंजना श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि क्या पुरुष के सम्मान को ठेस पहुंचाई जा सकती है, भले ही वह मामले में आरोपी ही क्यों न हो। जब तक उसका जुर्म साबित नहीं हो जाता वह मुल्जिम कहलाता है न कि मुजरिम। इसलिए अदालत का फैसला न होने तक आरोपी पुरुष का नाम भी गुप्त रखा जाना चाहिए, ताकि संविधान में लिंगभेद न किए जाने के प्रावधान सम्बंधी अनुच्छेद का पालन हो सके।

मी टू से जोड़ा, भंडारकर का उदाहरण दिया
याचिका में फिल्म निर्माता-निर्देशक मधुर भंडारकर का उदाहरण दिया गया। जिन पर एक युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया। अदालत ने केस चलाए जाने की व्यवस्था भी दी, लेकिन बाद में आरोप लगाने वाली युवती ने अपने आरोप वापस ले लिए।भंडाकर दोषमुक्त तो हो गए, लेकिन उनका नाम उजागर होने से प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।

76 फीसदी आरोप झूठे
तर्क दिया गया कि नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 76 फीसदी यौन शोषण के आरोप झूठे साबित हुए हैं। दहेज प्रताडऩा के 93 प्रतिशत और छेड़छाड़ के 70 प्रतिशत आरोप भी गलत पाए गए। संविधान में दी गई व्यवस्था के तहत जाति-धर्म, स्थान-लिंग आदि के आधार पर भेदभाव गलत है। सबके लिए समान न्याय व विधिक सहायता का प्रावधान है। ऐसे में आरोपी पुरुषों का नाम भी उजागर न करने के दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो