मी टू से जोड़ा, भंडारकर का उदाहरण दिया
याचिका में फिल्म निर्माता-निर्देशक मधुर भंडारकर का उदाहरण दिया गया। जिन पर एक युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया। अदालत ने केस चलाए जाने की व्यवस्था भी दी, लेकिन बाद में आरोप लगाने वाली युवती ने अपने आरोप वापस ले लिए।भंडाकर दोषमुक्त तो हो गए, लेकिन उनका नाम उजागर होने से प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।
76 फीसदी आरोप झूठे
तर्क दिया गया कि नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 76 फीसदी यौन शोषण के आरोप झूठे साबित हुए हैं। दहेज प्रताडऩा के 93 प्रतिशत और छेड़छाड़ के 70 प्रतिशत आरोप भी गलत पाए गए। संविधान में दी गई व्यवस्था के तहत जाति-धर्म, स्थान-लिंग आदि के आधार पर भेदभाव गलत है। सबके लिए समान न्याय व विधिक सहायता का प्रावधान है। ऐसे में आरोपी पुरुषों का नाम भी उजागर न करने के दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।