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हाईकोर्ट ने आरक्षण पर दिया ये बड़ा फैसला

locationजबलपुरPublished: May 22, 2018 01:43:34 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

जातिगत आरक्षण पर राज्य सरकार की अपील खारिज

High court big decision

High court big decision on reservation

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने आरक्षण से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए इस मामले में राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि आरक्षण नीति के तहत सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित सीट रिक्त होने पर उसे एससी (अनुसूचित जाति) वर्ग के उम्मीदवार से भरे जाने के लिए विचार किया जा सकता है। इसके उलट एससी वर्ग के लिए आरक्षित सीट को अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवार से नहीं भरा जा सकता। इसी के साथ चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने छिंदवाड़ा नगर निगम कर्मी के पक्ष में सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दायर राज्य सरकार की अपील निरस्त कर दी।

यह है मामला

छिंदवाड़ा नगर निगम में कार्यरत दीपा महरोलिया ने 2013 में याचिका दायर कर राज्य सरकार के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके जरिए उसकी अनुकंपा नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया था। दीपा ने याचिका में कहा कि उसे नगर निगम ने 7 नवंबर, 2012 को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की। लेकिन 30 सितंबर 2013 को यह कहते हुए निकालने के आदेश जारी कर दिए गए कि उसे सामान्य वर्ग की सीट पर नियुक्ति दे दी गई थी। जबकि वह एससी वर्ग की थी। इस आदेश को उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 20 जुलाई 2016 को जस्टिस सुजय पॉल की सिंगल बेंच ने इस याचिका का निराकरण करते हुए याचिकाकर्ता की नियुक्ति को उचित पाया था। उसे नियमित कार्य करते रहने देने के निर्देश दिए गए थे। इसी आदेश को सरकार ने अपील के जरिए डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी थी।

 

कोर्ट ने ये कहा

कोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि आरके सभरवाल विरुद्ध पंजाब सरकार 1995 के मामले में सुको यह असमंजस दूर कर चुकी है। सुको के हवाले से कोर्ट ने कहा कि जब हर वर्ग के लिए आरक्षण प्रतिशत तय है तो आरक्षित वर्ग के पद पर आरक्षित वर्ग के ही उम्मीदवारों को लिया जाना चाहिए। सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों का इसके लिए विचार नहीं किया जाना चाहिए। जबकि दूसरी तरफ आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित पदों पर नियुक्त किए जा सकते हैं। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शिवेंद्र पांडे ने पक्ष रखा। अनावेदक नगर निगम कर्मी की ओर से अधिवक्ता उमाशंकर जायसवाल उपस्थित रहे।

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