जबलपुर/भोपाल। अब किसी अफसर का कनिष्ठ सहयोगी उनका अफसर बनकर हुक्म नहीं दे पाएगा। मध्यप्रदेश के हाईकोर्ट ने सरकारी विभागों में होने वाली पदोन्नति में आरक्षण देने के अधिनियम को निरस्त कर दिया है। इधर हाईकोर्ट के फैसले के बाद राजधानी में प्रमुख सचिव एंटोनी डिसा ने अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया गया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण को अवैध घोषित करते हुए सिविल सर्विस प्रमोशन रूल्स 2002 को असंवैधानिक करार दिया है। इतना ही नहीं प्रदेश में वर्ष 2002 के बाद आरक्षण का लाभ देकर किए गए प्रमोशनों को भी रद्द कर दिया है।
हाईकोर्ट जबलपुर ने करीब 20 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के एम नागराज के फैसले को आधार बनाते हुए दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से करीब 20 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। बहरहाल कोर्ट के इस फैसले के बाद से सामान्य वर्ग के शासकीय सेवकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी सरकार
इधर भोपाल में प्रमुख सचिव एंटोनी डिसा ने अधिकारियों की बैठक बुलाकर हाईकोर्ट के फैसले पर चर्चा की। इसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी करेगी।