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यह है मामला
भोपाल निवासी महिला ने रिट अपील में कहा कि उसकी 13 वर्षीय बेटी के साथ रेप हुआ। इसके चलते वह गर्भवती हो गई। फिलहाल उसे छह माह से अधिक का गर्भ है। इसलिए गर्भपात की अनुमति लेने के लिए उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम ने किशोरी की जांच रिपोर्ट में बताया कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 3 के तहत गर्भपात उचित नहीं होगा। यह जच्चा-बच्चा के लिए जानलेवा हो सकता है। पांच जुलाई 2019 को सिंगल बेंच ने गर्भपात की अनुमति देने से मना कर दिया। अपील में इसे गलत बताते हुए आग्रह किया गया कि मेडिकल बोर्ड गठित कर जांच कराई जाए।
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गर्भपात में भी खतरा
कोर्ट के निर्देश पर गठित मेडिकल बोर्ड की ओर से शुक्रवार को पेश रिपोर्ट में कहा गया कि पीडि़त की मानसिक व शारीरिक हालत ऐसी नहीं है कि वह बच्चे को जन्म दे सके। उसका गर्भपात कराना सुरक्षित नहीं है। गर्भपात कराना है, तो तत्काल मेडिकल उपाय अपनाने होंगे। इस पर कोर्ट ने कहा कि मेडिकल विशेषज्ञ पीडि़त की जान बचाने के लिए तत्काल गर्भपात की आवश्यकता महसूस करें, तब सुरक्षा के साथ गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है। कोर्ट ने राज्य सरकार को पीडि़त के गर्भपात की सभी व सुरक्षित व्यवस्थाएं करने का निर्देश दिया।