पुलिस ने जिसे लावारिस समझकर दफनाया, वह निकला सिपाही
इन्होंने दायर की थी याचिका
जस्टिस वंदना कसरेकर व जस्टिस सुजय पॉल की अदालतों ने मंगलवार को राज्य सरकार की सेवा से रिटायर हुए कर्मचारियों के तीन अलग-अलग मामलों में सुनवाई की। ये मामले सुपरीटेंडेंट इंजीनियरिंग ऑफिस जबलपुर से अकाउंट ऑफीसर के पद से रिटायर हुए भोलानाथ विश्वकर्मा, कटनी पुलिस अधीक्षक कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए सब इंस्पेक्टर उमेश सिंह परिहार और कटनी पुलिस अधीक्षक कार्यालय के रिटायर्ड हेड कांस्टेबल चंद्रदेव सिंह की ओर से दायर किए गए थे। इनका निराकरण करते हुए याचिकाकतार्ओं से वसूली जा रही राशि तीन माह में ब्याज सहित लौटाने के निर्देश राज्य सरकार व अन्य को दिए हैं।
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लाखों रुपए की रिकवरी
आवेदकों का कहना था कि रिटायरमेंट के बाद उनसे क्रमश: 1 लाख 15 हजार, 1 लाख 38 हजार और 1 लाख 68 हजार रुपए की वसूली के आदेश उनके विभाग द्वारा जारी किए गए थे। इसी परिप्रेक्ष्य में उनके फण्ड से राशि की वसूली की जा रही थी। इस बारे में विभाग को दिए आवेदनों पर कोई कार्रवाई न होने पर न्यायालय में ये याचिकाएं दायर की गईं थीं।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला
सेवानिवृत्त कर्मचारियों की तीन अलग-अलग याचिकाओं पर कोर्ट ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से अधिवक्ताओं ने उनका पक्ष प्रस्तुत किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया गया। सारे पक्षों पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निदेर्शों के तहत याचिकाकताओं से की जा रही वसूली को गलत ठहराते हुए हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राशि मय ब्याज सहित लौटाने के निर्देश दिए है।