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हाईकोर्ट का अहम फैसला, विद्युत अधिनियम की विशेष अदालत के सुपुर्द कर दिया हत्या का मुकदमा

locationजबलपुरPublished: Oct 08, 2018 09:50:49 pm

Submitted by:

amaresh singh

छिंदवाड़ा जिले के विशेष न्यायाधीश ने हाईकोर्ट से लगाई गुहार

High Court Latest decision murder case

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जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट को छिंदवाड़ा के विशेष न्यायाधीश (विद्युत अधिनियम) ने हैरान कर देने वाला पत्र भेजा। विशेष न्यायाधीश ने पत्र में बताया कि उनकी कोर्ट को हत्या के एक मामले की सुनवाई सौंप दी गई। जबकि वे सिर्फ विद्युत अधिनियम के मामले सुनने के लिए ही सक्षम हैं। सत्र न्यायाधीश का ध्यानकर्षित करने के बावजूद मामले को फिर उन्हीं की कोर्ट में भेज दिया गया। जस्टिस एसके सेठ व जस्टिस बीके श्रीवास्तव की कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश की गुहार सुन ली। कोर्ट ने निर्देश दिए कि मामले को विधि अनुसार संबंधित सत्र न्यायालय के समक्ष विचारण के लिए भेजा जाए।


यह है मामला
छिंदवाड़ा जिला अदालत में विद्युत अधिनियम की विशेष न्यायालय के पीठासीन अधिकारी ने मप्र हाईकोर्ट को यह पत्र भेजा। इसमें कहा गया कि जिले के चांद थानांतर्गत ढीमरमेटा गांव खेत में अवैध रूप से लगे बिजली के तार का करंट लगाने की वजह से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। पुलिस ने आरोपी माधो सल्लाम के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120 बी व विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत प्रकरण दर्ज कर उनकी अदालत में चार्जशीट पेश कर दी। अध्ययन करने पर पता चला कि आरोपी के खिलाफ विद्युत अधिनियम का मुकदमा नहीं बनता। हत्या व अन्य गंभीर धाराएं भी आरोपी के खिलाफ लगाई गईं थीं। जिनमें सुनवाई करने के लिए उनकी कोर्ट सक्षम नहीं है। इस पर उन्होंने यह कहते हुए पुलिस को आरोप पत्र वापस कर दिया कि जब तक सेशन न्यायालय व संबंधित मजिस्ट्रेट सुपुर्द नहीं करेंगे, वे इस मामले पर संज्ञान नहीं ले सकते।


दो बार लौटाया, फिर उन्हीं के पास आया
पुलिस ने जेएमएफसी चौरई के समक्ष चार्जशीट पेश की। लेकिन इस पर विचार किए फिर उनकी अदालत को यह प्रकरण भेज दिया गया। उन्होंने सत्र न्यायाधीश का ध्यानाकर्षण करते हुए उनके समक्ष मामला भेजा। उन्होंने भी बिना विचार किए पुन: मामले को उनके सुपुर्द करते हुए इस पर विधि अनुसार निर्णय लेने के निर्देश दे दिए। इस पर भ्रम व असमंजस पैदा हो गया। इसे दूर करने के लिए विशेष न्यायाधीश ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 395 के तहत यह पत्र हाईकोर्ट को भेजा था। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने चार्जशीट वापस जेएमएफसी चौरई को भेजने का निर्देश देकर कहा कि वे विधि अनुसार विचार कर इसे संबंधित सत्र न्यायालय के सुपुर्द करें। राज्य सरकार का पक्ष अधिवक्ता अक्षय नामदेव ने रखा।

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