scripthigh court of mp- हत्या के आरोप में काटी 13 साल सजा, बाद में पता चला वह निर्दोष था, फिर हुआ ये | High court of mp- convicted for 13 years in jail later revealed that he was innocent | Patrika News

high court of mp- हत्या के आरोप में काटी 13 साल सजा, बाद में पता चला वह निर्दोष था, फिर हुआ ये

locationजबलपुरPublished: Aug 27, 2017 01:58:00 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

कोर्ट मित्र ने दिलाया न्याय, रीवा जिले में 2004 में हुई थी वारदात

High Court,MP High Court,MP high court jabalpur,

High Court,MP High Court,MP high court jabalpur,

जबलपुर। हत्या के आरोप में एक युवक 13 वर्ष तक जेल में कैद रहा। लेकिन आरोपी आर्थिक रूप से इतना कमजोर था कि वह अपनी पैरवी के लिए वकील तक नहीं कर पाया। लंब अरसे में जब आरोपी की पैरवी के लिए कोई वकील नहीं आया तो अदालत ने कोर्ट मित्र नियुक्त किया। कोर्ट मित्र की पैरवी के बाद अदालत ने आरोपी को निर्दोष करार दिया। दरअसल, हत्या के अपराध के लिए तेरह साल पहले जिला अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सजा से दंडित किए गए एक निर्दोष युवक ने सजा के खिलाफ अपील तो दायर कर दी, लेकिन उसके पास वकील को देने के लिए पैसे नहीं थे। आखिरकार हाईकोर्ट ने उसके लिए एक अधिवक्ता को कोर्ट मित्र के रूप में नियुक्त किया। कोर्ट मित्र अधिवक्ता ने पूरी शिद्दत से केस लड़ा और आखिरकार युवक को इंसाफ दिला दिया । हाईकोर्ट ने अपील मंजूर कर ली और युवक को निर्दोष ठहराते हुए जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं।
यह है मामला
अभियोजन के अनुसार रीवा जिले के महसाओ लोहारी थाना गुढ़ निवासी लक्ष्मी साकेत के यहां आरोपी रायपुर करचुलियान निवासी परिचित युवक उमेश साकेत 6 मार्च 2004 को रात करीब 12 बजे पहुंचा। वह दो दिन उनके घर ठहरा। 8 मार्च को वो सुबह लक्ष्मी के घर से निकल गया, लेकिन शाम को वापस लौट आया। और उसी रात को लक्ष्मी की सांस प्रेम बाई की हत्या हो गई। इस मामले की रिपोर्टर पर पुलिस ने भादंवि की धारा 302 के तहत प्रकरण दर्ज किया था। जिला अदालत रीवा ने 24 दिसंबर, 2004 को मामले का फैसला करते हुए उमेश को हत्या के लिए आजीवन कारावास से दंडित किया। 11 मार्च, 2004 को उसे गिरफ्तार किया गया था, तभी से वह जेल में है।
रात को कमरे में बुलाया और जबरदस्ती का प्रयास किया
उमेश 8 मार्च, 2004 की रात को लक्ष्मी के घर पर उसके व उसकी सास प्रेम बाई उर्फ शुभा रानी के साथ खाना खाया। रात को पानी मांगने के बहाने उसने लक्ष्मी को कमरे में बुला कर जोर जबरदस्ती का प्रयास किया। लक्ष्मी के शोर मचाने पर आरोपी ने दरवाजा बाहर से बंद कर लिया। आवाज सुनकर लक्ष्मी की सास प्रेम बाई दौड़ कर आई तो आरोपी ने उसे आंगन में पकड़ लिया। पहले मुंह दबाए रखा, फिर उसे टांगी ( कुल्हाड़ी ) से वार कर मार डाला। लक्ष्मी का शोर सुनने पर पड़ोसी आए, लेकिन आरोपी भाग चुका था।
कोर्ट मित्र नियुक्त किया
चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच के समक्ष दस साल से पुराने मामलों की सुनवाई के दौरान यह मामला नियत किया गया। कोर्ट ने पाया कि अपील दायर होने के बाद से ही अपीलकर्ता की ओर से कोई वकील खड़ा नहीं हो रहा है। इसलिए मामला लंबित है। यह देखते हुए कोर्ट ने अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता को कोर्ट मित्र नियुक्त कर अपीलकर्ता का पक्ष रखने के निर्देश दिए।
जिला अदालत का निर्णय निरस्त
अधिवक्ता गुप्ता ने घटनास्थल का मानचित्र प्रस्तुत करते हुए बताया कि जहां लक्ष्मी खड़ी थी, उस जगह से आंगन का दृश्य नहीं दिखता। इसके अलावा किसी अन्य गवाह ने लक्ष्मी के बयान का समर्थन नहीं किया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने तर्कों से सहमति जताई। कोर्ट ने जिला अदालत रीवा के २४ मार्च २००४ को दिए गए फैसले को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने न्याय मित्र अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता का उल्लेख अपने आदेश में किया है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो