अवैध हैं परमिट- जबलपुर के अधिवक्ता सतीश वर्मा ने 2013 में जबलपुर सहित प्रदेश में ऑटो की धमाचौकड़ी को लेकर यह जनहित याचिका दायर की थी। कहा गया कि शहर में ऑटो कॉट्रेक्ट परमिट की बजाए कैरिज परमिट पर चल रहे हैं। तीन की बजाए ऑटो में सवारी ठूंस ठूंस कर बैठाई जाती है। एक भी ऑटो मीटर से संचालित नहीं हो रहा है।
अब तक क्या किया- सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मलिमठ ने सरकार और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से पूछा कि याचिका दायर होने के बाद 8 साल में ऑटो की धमाचौकड़ी रोकने के लिए क्या किया गया ? सरकार की ओर से बताया गया कि सरकार इसके लिए पॉलिसी बना रही है। पूरे प्रदेश में 6000 हजार ऑटो अवैध तरीके से चल रहे हैं। इनमें से अब तक 22 ऑटो जब्त किए जा चुके हैं। इस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि प्रदेश में ऑटो की धमाचौकडी पर सरकार लगाम लगा पाएगी या नहीं। नहीं तो हम किसी और एजेंसी को ये काम दे देंगे।
पहले नंबर पर होगी सुनवाई- डिवीजन बेंच ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए निर्देश दिए कि अब इस मामले की हर सोमवार को पहले नंबर पर सुनवाई की जाएगी। सरकार को हर सप्ताह में की गई कार्रवाई और ऑटो को व्यवस्थित करने के संबंध में किए गए प्रयास की जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करना पड़ेगा। लगभग 20 मिनट चली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पर कई बार नाराजगी जाहिर की। सुनवाई के दौरान वीसी के माध्यम से ट्रांसपोर्ट कमिश्नर भी जुडे थे। सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष रखा।