जबलपुर

सिरमौर नगर परिषद अध्यक्ष के खिलाफ मतदान पर रोक

हाईकोर्ट ने अंतरिम व्यवस्था देते हुए सरकार से किया जवाब-तलब

जबलपुरJul 10, 2018 / 09:44 pm

Premshankar Tiwari

High Court’s latest judgment on Chairman of City Council

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने रीवा जिले की सिरमौर नगर परिषद की अध्यक्ष शांति चौरसिया के खिलाफ राइट टू रिकॉल के तहत 13 पार्षदों की ओर से लाए गए प्रस्ताव पर तीन अगस्त को होने वाले मतदान को स्थगित कर दिया है। जस्टिस जेके महेश्वरी की एकलपीठ ने रीवा कलेक्टर से मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है। अगली सुनवाई 27 अगस्त तय की गई है।

यह है मामला
चौरसिया की ओर से याचिका दायर कर कहा गया है कि 25 अक्टूबर 2017 को 13 पार्षदों ने उनके खिलाफ राइट टू रिकॉल का प्रयोग करते हुए नगर पालिक अधिनियम 1961 की धारा 47 के अंतर्गत प्रस्ताव लाया। इस प्रस्ताव को कलेक्टर ने मंजूर कर नौ जनवरी 2018 को राज्य सरकार को भेजा। सरकार ने इसे कलेक्टर को यह कहते हुए वापस लौटा दिया कि सम्बंधित पार्षदों के शपथपत्र व हस्ताक्षरों का सत्यापन कर पुन: प्रस्ताव भेजा जाए। कलेक्टर ने 19 जनवरी 2018 को पुन: यह प्रस्ताव सरकार को भेज दिया। सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर याचिकाकर्ता के खिलाफ राइट टू रिकॉल के लिए मतदान की तारीख तीन अगस्त तय कर दी।

तीन चौथाई पार्षदों का होना समर्थन
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीष चौबे ने तर्क दिया कि धारा 47 ( 2) के तहत यह प्रस्ताव कलेक्टर तभी अनुमोदित कर सकता है, जबकि तीन चौथाई निर्वाचित पार्षदों ने इसके लिए हस्ताक्षरयुक्त शपथपत्र पर आवेदन दिया हो। उन्होंने कलेक्टर के उक्त आदेश को अनुचित बताते हुए निरस्त करने की मांग की। चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने चुनाव प्रक्रिया शुरू होने का हवाला देते हुए स्थगन न देने का तर्क रखा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि धारा 47 (2 ) की प्रक्रिया के सम्बंध में कलेक्टर का स्पष्टीकरण इस मामले में जरूरी है। लिहाजा कलेक्टर को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश देते हुए कोर्ट ने अंतरिम व्यवस्था के तहत तब तक तीन अगस्त को होने वाले मतदान पर रोक लगा दी।

छात्रावासों के वार्डन को नहीं मिली राहत
मप्र हाईकोर्ट ने कहा है कि नए अध्यापकों को भी स्कूली छात्रावास के वार्डन की जिम्मेदारी सम्भालने का अवसर मिलना चाहिए। इस लिहाज से वार्डन के पद पर नए अध्यापक नियुक्त करने का सरकार का निर्णय बिल्कुल सही है। जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच ने इस मत के साथ वार्डन के रूप में कार्य कर रही दो महिला अध्यापकों की याचिकाएं निरस्त कर दीं हैं। उल्लेखनीय हे कि छतरपुर जिले के शासकीय कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास चंदला व बमीठा में वार्डन के पद पर पदस्थ लीला अहिरवार व प्रतिभा शुक्ला की ओर से याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें कहा गया कि वे मूलत: अध्यापक के पद पर पदस्थ थीं। सरकार ने महिलाओं में शिक्षा का स्तर ऊंचा करने के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय योजना शुरू की। इसके तहत दोनों को 2014 में उक्त छात्रावासों के वार्डन का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अनूप सक्सेना ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने तीन मई व आठ मई को दो सर्कुलर जारी कर न केवल इन छात्रावासों के वार्डन पद के लिए दूसरे अध्यापकों से आवेदन आमंत्रित किए, बल्कि वार्डन पद पर कार्यरत रहने की अधिकतम समयसीमा भी तीन साल कर दी। सरकार की ओर से अधिवक्ता जीपी सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं का मूल पद अध्यापक का है। उन्हें सौंपा गया अतिरिक्त प्रभार सरकार कभी भी वापस लेने के लिए स्वतंत्र है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाएं निरस्त कर दीं।

 

Home / Jabalpur / सिरमौर नगर परिषद अध्यक्ष के खिलाफ मतदान पर रोक

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.