व्यक्तिगत होगी जिम्मेदारी
कोर्ट ने सरकार को कहा कि चार माह के अंदर सड़कों पर आवारा जानवरों की धमाचौकड़ी रोकने के लिए कानूनों में प्रभावी संशोधन किया जाए। अन्यथा सभी संबंधित विभागों के प्रमुख सचिवों को कोर्ट में उपस्थित होकर अवमानना की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इस दौरान आवारा पशुओं की वजह से कोई भी दुर्घटना हुई, तो कलेक्टर, एसपी व नगर निगमायुक्त को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार माना जाएगा।
यह है मामला
अधिवक्ता सतीश वर्मा ने अवमानना याचिका दायर कर कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शहर की मुख्य सड़कों पर आवारा जानवर बेखौफ धमाचौकड़ी मचा रहे हैं। इनकी वजह से लगातार लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। याचिका विचाराधीन रहते हुए ही इनकी वजह से कई लोग काल के गाल में समा चुके हैं।
जनवरी में कहा था पंद्रह दिन में चालू होगा कांजीहाउस
हाईकोर्ट ने गत 27 सितंबर 2018 को कलेक्टर, एसपी व नगर निगम आयुक्त को आवारा पशुओं पर नियंत्रण के लिए एक्शन प्लान पेश करने को कहा था। 24 जनवरी 2019 को तत्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज ने कोर्ट को बताया था कि रामपुर छापर में 1500 पशुओं की क्षमता वाला कांजी हाउस 15 दिन में बन जाएगा। सड़क पर जानवर छोडऩे वाले पशुपालकों पर धारा 144 के तहत कार्रवाई की जाएगी। मंगलवार को याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आवारा जानवरों पर नियंत्रण के लिए कानून में संशोधन कर इसे प्रभावी बनाने के लिए कहा था। लेकिन अब तक संशोधन नहीं हुआ। इस पर कोर्ट ने सरकार को चार माह के अंदर उक्त संशोधन करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि संशोधित कानून के तहत आवारा जानवरों पर नियंत्रण न कर पाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए। उपमहाधिवक्ता प्रवीण दुबे ने सरकार का पक्ष रखा।