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हाईकोर्ट ने कहा-महापौर के अप्रत्यक्ष निर्वाचन को जनहित याचिका में नहीं दे सकते चुनौती

locationजबलपुरPublished: Jan 19, 2020 12:07:26 am

Submitted by:

Rahul Mishra

संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती देने की छूट
 
 
 
 
मप्र हाईकोर्ट ने कहा कि नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश २०१९ के तहत महापौर का निर्वाचन पार्षदों के जरिए अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने के प्रावधान को जनहित याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती।

Court sentenced convict for stealing from home

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जबलपुर.

मप्र हाईकोर्ट ने कहा कि नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश २०१९ के तहत महापौर का निर्वाचन पार्षदों के जरिए अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने के प्रावधान को जनहित याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा कि यह अध्यादेश अब कानून बन चुका है, लिहाजा इसकी संवैधानिकता को चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वापस लेने के आग्रह पर याचिका निरस्त कर दी।

 

नागदा, उज्जैन के अशोक मालवीय व हुजूर, भोपाल के अशोक श्रीवास्तव की ओर से यह जनहित याचिका दायर कर मप्र नगर पालिक विधि संशोधन अध्यादेश २०१९ की संवैधानिकता को चुनौती दी। कहा गया कि इस संशोधन अध्यादेश के जरिए राज्य सरकार ने नगर निगमों के महापौर व अन्य नगरीय निकायों के अध्यक्षों के पदों पर निर्वाचन की प्रक्रिया संशोधित कर दी। संशोधित प्रावधान के तहत इनका निर्वाचन निर्वाचित पार्षदों के जरिए अप्रत्यक्ष प्रणाली से किया जाना है। अधिवक्ता इंदु पांडे ने तर्क दिया कि उक्त संशोधित प्रावधान जनहित के खिलाफ है, लिहाजा इसे रद्द किया जाए। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता पारितोष गुप्ता ने तर्क दिया कि २३ दिसंबर २०१९ को उक्त अध्यादेश को कानून के रूप में बदलकर लागू कर दिया गया है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया। कोर्ट ने इसे मंजूर कर याचिका खारिज कर दी।

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