scriptरेप के बाद मासूम की हत्या करने वाले की फांसी की सजा हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदली | high court sentence Life imprisonment for murder of girl after rape | Patrika News

रेप के बाद मासूम की हत्या करने वाले की फांसी की सजा हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदली

locationजबलपुरPublished: May 14, 2019 07:51:38 pm

Submitted by:

abhishek dixit

कोर्ट ने नहीं माना रेयर ऑफ दि रेयरेस्ट, कटनी का मामला

death sentence for 2,death sentence,MP High Court,rape victim,high court. mp high court jabalpur,

death sentence for 2,death sentence,MP High Court,rape victim,high court. mp high court jabalpur,

जबलपुर. सात साल की अबोध बालिका के साथ रेप करने के बाद उसकी चाकू से गला रेत कर हत्या करने वाले को निचली अदालत से सुनाई गई फांसी की सजा मप्र हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दी। जस्टिस जेके महेश्वरी व जस्टिस अंजुलि पालो की डिवीजन बेंच ने कहा कि मामला विरल से विरलतम (रेयरेस्ट ऑफ दि रेयर ) नहीं है। कटनी जिला अदालत ने दिसंबर 2018 में आरोपी श्याम सिंह को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इसे हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया।

यह है मामला
अभियोजन के अनुसार 5 जून 2018 को सात साल की नाबालिग पीडि़ता के माता-पिता घर पर नहीं थे। पीडि़ता अचानक खेलते हुए गायब हो गई। बालिका के पिता की शिकायत पर स्लीमनाबाद थाने में प्रकरण दर्ज किया गया। विवेचना के दौरान पता चला कि आरोपी श्याम सिंह उर्फ कल्लू निवासी चरगवां थाना स्लीमनाबाद कटनी ने मासूम के साथ रेप किया और क्रूरतापूर्वक चाकू से गला रेत कर उसकी हत्या कर दी थी। जांच के बाद पुलिस ने धारा 302 आईपीसी सहित धारा 363, 376 (2) (झ), लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया एवं चालान विचारण के लिए कोर्ट में प्रस्तुत किया। विशेष न्यायाधीश कटनी की कोर्ट ने अभियुक्त को भादंसं की धारा 302 में फांसी की सजा, 376 (2) (झ) में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसी फैसले को हाईकोर्ट की पुष्टि के लिए भेजा गया था। साथ ही आरोपी ने भी इसके खिलाफ अपील की थी। दोनों की सुनवाई एक साथ की गई।

अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ केवल भादंवि की धारा 302 का अपराधसिद्ध पाया। कोर्ट ने कहा कि यह ऐसा अपराध नहीं है, जिसमें सर्वाधिक दंड दिया जाए। अन्य वैकल्पिक दंड दिए जा सकते हैं। इस मत के साथ कोर्ट ने आरोपी की फांसी आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दी। अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता राकेश साहू, प्रेमलता लोखंडे व सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता सोम मिश्रा उपस्थित रहे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो