हाईकोर्ट ने जनहित याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए संबंधित अधिकारियों और विभागों को नोटिस जारी कर दिए है।. इस संबंध में कोर्ट ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है। जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डा. पीजी नजपांडे और जबलपुर के नयागांव के सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव ने दायर की है। उनके अधिवक्ता ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि जुलाई 2021 को नगर निगम द्वारा किया गया संशोधन गलत है। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले में नोटिस जारी करने के निर्देश दिए.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के करीब एक साल पहले ही राज्य सरकार ने प्रदेशभर की अवैध कालोनियों को वैध करने की मंजूरी दे दी थी. प्रदेशभर में करीब 6876 अवैध कालोनियां में से सबसे ज्यादा 696 ग्वालियर में तथा सबसे कम 194 जबलपुर में है. इसमें अवैध कालोनी में अधोसंरचनात्मक विकास के लिए कालोनाइजर व रहवासियों से राशि लिए जाने का भी प्रावधान है. अवैध कालोनियों के वैध हो जाने से नगरवासियों को सड़क, बिजली, पानी की सुविधाएं मिलने लगेंगी.
इसका सबसे ज्यादा लाभ बैंक लोन में मिलता है. कालोनियां वैध नहीं होने से कई लोगों के प्लाट पर मकान निर्माण करने के लिए नक्शे भी स्वीकृत नहीं हो पा रहे हैं. नए प्रावधानों के तहत अवैध कालोनी निर्माण में अब कालोनाइजर के खिलाफ सीधी कार्यवाही होगी. बिना अनुमति निर्माण करने पर कालोनाइजर या बिल्डर के खिलाफ सजा व जुर्माना दोनों होगा. यदि बिल्डर ने राशि नहीं चुकाई तो उसकी बैंक गारंटी या फिर संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई का भी प्रावधान है. सबसे खास बात यह है कि इसमें नगर निगम के अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है. अवैध निर्माण होने पर संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.