स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की स्थिति क्या है। प्रारम्भिक तौर जिले के पांचवी एवं आठवीं कक्षा में पढऩे वाले छात्रों की संख्या करीब 40 हजार होने का अनुमान लगाया गया है। जानकारों का कहना है कि शिक्षा विभाग की ओर से की जा रही नई व्यवस्था के बाद स्कूलों में आवश्यक रूप से पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार आ सकेगा। छात्र-छात्राएं पढ़ाई में पहले से कहीं अधिक परिश्रम करेंगे। वहीं शिक्षकों को भी परीक्षा परिणाम सुधारने के लिए जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा। पांचवीं और आठवीं बोर्ड होने से दसवीं का परिणाम सुधरेगा।
स्कूलों का वर्क प्लान
निर्देश आने के बाद जिलेस्तर पर विभाग नई सिरे से पढ़ाई की तैयारी में जुटने जा रहा है। इसके लिए पांचवी, आठवीं कक्षाओं को पढ़ाने वाले शिक्षकों की जल्द ही बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें उन्हें पढ़ाई के तरीके पर फोकस किया जाएगा। शिक्षकों, छात्रों की नियमित उपस्थिति के साथ ही पुराने परिणामों पर चर्चा कर खाका तैयार किया जाएगा।
11.46 फीसदी गिरावट
जिले में हाईस्कूल के परीक्षा परिणाम में 11 फीसदी तक गिरावट इस बार आई है। पूर्व के वर्षों में भी 5 से 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। पांच साल में मात्र एक बार ही ऐसा मौका आया जब वर्ष 2017 में दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 65 फीसदी तक पहुंचा। खराब परिणाम के चलते हर साल 3 से 5 हजार छात्र दसवीं में फेल हो रहे हैं।
प्राचार्यों ने बताई थी पीड़ा
जिले के खराब परीक्षा परिणामों को लेकर स्कूलों के प्राचार्यों ने समीक्षा बैठक में इस बात का रखा था कि 5वीं 8वीं बोर्ड खत्म हो जाने के कारण उन्हें 9 वीं में आने वाले बच्चों की नए सिरे से मेहनत करानी पड़ती है। पहला बोर्ड होने के कारण छात्र इसके लिए पहले से प्रिपेयर नहीं हो पाते जिसके कारण भी परिणाम अपेक्षानुरूप नहीं आ पाता।
इस तरह परिणामों में गिरावट आई
वर्ष 2015- परिणाम 57 प्रतिशत
वर्ष 2016- परिणाम 53.99 प्रतिशत
वर्ष 2017- परिणाम 49.74 प्रतिशत
वर्ष 2018- परिणाम 66.54 प्रतिशत
वर्ष 2019- परिणाम 54.16 प्रतिशत
बोर्ड खत्म होने से बच्चों में पढऩे की क्षमता सीमित हो गई थी। पढ़ाई को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा था। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को नए सिरे से बोर्ड परीक्षा को लेकर प्लानिंग करने के निर्देश दिए हैं। वर्क प्लान मांगा गया है। सत्र के शुरुआत से ही पढ़ाई पर फोकस पर विशेष नजर होगी।
राजेश तिवारी, सम्भागीय संयुक्त संचालक स्कूल शिक्षा