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पक्षकारों को भा रहीं हाईकोर्ट की हाईटेक व्यवस्थाएं

locationजबलपुरPublished: Dec 03, 2021 11:47:27 pm

Submitted by:

shyam bihari

ऑनलाइन सुविधाओं का किया जा रहा खूब प्रयोग, केस लगाने के लिए जबलपुर हाईकोर्ट आने की जरूरत खत्म

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जबलपुर। कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान हाईकोर्ट की ओर से केस फाइलिंग व सुनवाई के लिए की गई ऑनलाइन व्यवस्थाएं पक्षकारों और वकीलों के लिए बेहद कारगर साबित हो रही हैं। हाईकोर्ट में पूर्ववत भौतिक सुनवाई होने लगी है। लेकिन, केस फ़ाइल करने और कोर्ट फीस की गणना से लेकर जमा करने तक के लगभग सभी कार्यों में ऑनलाइन व्यवस्था का अधिकतर उपयोग किया जा रहा है। इन व्यवस्थाओं के चलते कोरोना के चरम पर लॉकडाउन अवधि में तो हाईकोर्ट ने गम्भीर व अहम मामलों की सुनवाई की ही, अब भी ये व्यवस्थाएं सबको भा रही हैं।

ऑनलाइन व्यवस्था से रेप पीडि़ता को न्याय मिला
भेड़ाघाट थानांतर्गत निवासी पीडि़त के पिता की ओर से याचिका दायर की गई। उसकी नाबालिग पुत्री बलात्कार की शिकार हुई थी। इसके चलते वह गर्भवती हो गई। परिजन को जब तक पता लगा, तब तक किशोरी को 23 सप्ताह का गर्भ पल चुका था। किशोरी बच्चे को जन्म देना नहीं चाहती थी। लेकिन, लॉकडाउन के चलते परिजन कुछ नहीं कर पा रहे थे। अधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने बताया कि ऐसे में पीडि़त के पिता ने उनसे फोन पर सम्पर्क किया। मोबाइल पर ही सभी सम्बंधित दस्तावेज उपलब्ध कराए। इस तरह गर्भपात की अनुमति के लिए ऑनलाइन ही हाईकोर्ट की शरण ली गई। कोर्ट के आदेश पर आठ मई को पीडि़त किशोरी का मेडिकल परीक्षण कराया गया। मेडिकल कॉलेज की टीम ने रिपोर्ट में बताया कि देखरेख में उसका मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भपात कराया जा सकता है। मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. ओपी रायचंदानी ने भी ऑनलाइन मत व्यक्तकिया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार को पीडि़ता के गर्भपात की व्यवस्था करने के निर्देश दे दिए।
अर्जुनसिंह की पौत्रवधू ने विदेश से लगाई याचिका
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पौत्र अभिनेता अरुणोदय सिंह का कनाडा मूल के व्यापारी डगलस एल्टन की पुत्री ली एल्टन से विवाह जितने शानदार तरीके से हुआ था, दोनों के दाम्पत्य जीवन का अंत भी उतने ही नाटकीय अंदाज में हुआ। अरुणोदय और ली एल्टन के डॉग्स हर दिन लड़ते। इसको लेकर पति-पत्नी में भी बहस होती। ली कनाडा में थीं, तो अरुणोदय ने गुपचुप भोपाल फेमिली कोर्ट से एकतरफा तलाक ले लिया। इसकी जानकारी लगते ही ली ने कनाडा से ही जबलपुर हाइकोर्ट में अधिवक्ता आदित्य संघी को इंगेज कर तलाक के इस फैसले को ऑनलाइन चुनौती दी।

ई फीस केलकुलेटर व ऑनलाइन जमा
हाईकोर्ट ने ऑनलाइन फाइलिंग के लिए आवश्यक ई-फीस भुगतान की व्यवस्था की। इसके लिए राज्य सरकार के राजस्व विभाग के पोर्टल का इस्तेमाल किया गया। पक्षकार, वकील कहीं भी वैठ कर अपने केस के लिए लगने वाली कोर्ट फीस की गणना कर सकें, इसके लिए हाईकोर्ट की वेबसाइट में ई-कोर्ट फीस कैलकुलेटर का ऑप्शन दिया गया। इससे आसानी से लगने वाली कोर्ट फीस की गणना कर वकील व पक्षकार ऑनलाइन मॉड्यूल के जरिए घर बैठे जमा कर रहे हैं। केस भी ऑनलाइन जमा हो रहे हैं।

ई-फाइलिंग सुगम होने से बढ़ी संख्या
हाइकोर्ट ने हाइकोर्ट व जिला अदालतों में मामले, आवेदन दायर करने की ई-फाइलिंग व्यवस्था को सरल किया। जिला अदालतों में प्रतिदिन वीसी से सुनवाई के लिए सत्र न्यायाधीशों व मजिस्ट्रेट को रोस्टर बनाकर जिम्मा सौंपा गया। हाइकोर्ट की मुख्यपीठ में भी प्रतिदिन सभी बेंच बैठने की व्यवस्था की गई। इसके बाद से ई-फाइलिंग के जरिए दायर किए जाने वाले मुकदमों, अर्जियों की संख्या तेजी से बढ़ी। अप्रैल में हाईकोर्ट की तीनों खंडपीठों को मिलाकर कुल 6683 मामले फाइल किए गए। साथ ही बड़ी संख्या में लम्बित मामलों से जुड़े दस्तावेज भी ई-फाइलिंग के जरिए दाखिल हुए। भौतिक सुनवाई शुरू होने के बाद यह व्यवस्था मैन्युअल फाइलिंग की व्यवस्था से बेहतर बताई जा रही है।

30 हजार मामले निपटाए
मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद से जब तक पूरी तरह लॉकडाउन नहीं हटा, हाईकोर्ट वर्चुअली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करती रही। इन चार महीनों के दौरान 40 हजार मामले दायर हुए, जिनमें से 30 हजार से अधिक ऑनलाइन सुनवाई से निपटाए गए।

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