जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस डीडी बंसल की डिवीजन बेंच ने इस मत के साथ राज्य सरकार को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता डॉक्टर को उसके मूल दस्तावेज व एनओसी दी जाए। इसके लिए 90 दिन का समय दिया गया।
आगरा उत्तर प्रदेश निवासी डॉ. राहुल मित्तल की ओर से याचिका दायर कर अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने एमबीबीएस करने के बाद 2014 में ऑल इंडिया प्री पीजी उत्तीर्ण की। इसके आधार पर उन्हें ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजी से पीजी डिप्लोमा कोर्स की सीट का आवंटन हुआ। पीजी कोर्स ज्वाइन करने के पहले याचिकाकर्ता से बॉन्ड भराया गया।
उसके तहत पीजी कोर्स उत्तीर्ण करने के बाद उन्हें एक साल तक राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में अनिवार्य रूप से सेवाएं देनी थीं। ऐसा न करने की सूरत में उन्हें सरकार को 800000 रुपए चुकाने होते। सफलता पूर्वक अध्ययन के बाद 3 मार्च 2017 को उन्हें पीजी कोर्स में उत्तीर्ण घोषित किया गया।
अधिवक्ता संघी ने तर्क दिया कि नियमानुसार याचिकाकर्ता को पीजी पास होने के तीन माह के अंदर ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति दी जानी थी। लेकिन, कई बार आवेदन देने के बावजूद अब तक उन्हें ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति नहीं दी गई। तर्क दिया गया कि सरकार बॉन्ड की शर्तों के अनुरूप याचिकाकर्ता को नियत समय में ग्रामीण क्षेत्र में सेवा के लिए नियुक्ति नहीं दे सकी।