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सरकारी जमीन पर क्यों बने हैं धर्मस्थल, हटाने के लिए क्या उठाए कदम

locationजबलपुरPublished: Aug 10, 2018 10:05:05 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

मुख्य सचिव से हाईकोर्ट ने पूछा, चार सप्ताह में मांगा जवाब, सुको के निर्देश पर स्वत: संज्ञान लेकर दायर की याचिका

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जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव (सीएस) से पूछा है कि प्रदेश में सरकारी जमीन, सड़क व सार्वजनिक स्थलों पर अवैध कब्जा कर मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, मजार आदि धार्मिक स्थल कैसे बन गए? चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्वत: संज्ञान लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह सवाल किया। कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब मांगा है।


यह है मामला
30 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा था कि पूरे देश के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से धर्मस्थल बने हैं। इन्हें हटाया जाए। इस तरह के नये निर्माणों को सख्ती से रोकने को कहा गया था। कोर्ट ने कहा था कि सभी राज्यों के हाईकोर्ट इस आदेश का पालन सुनिश्चित कराएं। इसीलिए यह याचिका दायर की गई है। सतीश वर्मा द्वारा इसी विषय पर दायर याचिका के साथ अब इसकी सुनवाई 13 अगस्त को होगी।


धर्मस्थल की आड़ में बना रहे पैसे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक जगहों और फुटपाथ पर अवैध तरीके से जो धार्मिक ढांचे बनाए गए हैं, वह आस्था का मामला नहीं है। लोग इसकी आड़ में पैसा बना रहे हैं। अदालत ने कहा, ‘अगर लोगों को भगवान में आस्था होती, तो वे कतई ऐसा नहीं करते। दरअसल ऐसे लोग तो भगवान का भी अपमान कर रहे हैं। फुटपाथ पर चलना लोगों का अधिकार है और भगवान उसमें कतई बाधा नहीं डालना चाहेंगे।


कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिए नहीं आदेश
शीर्षकोर्ट ने तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की इस बात पर खिंचाई की थी कि सार्वजनिक जगहों पर अवैध धार्मिक ढांचे हटाने के मामले में जानकारी मांगे जाने के बावजूद सूचना मुहैया नहीं कराई गई। अदालत ने कहा था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस मामले में आदेश का पालन नहीं किया है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी कि क्या हमारे आदेश कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिए हैं?

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