यह है मामला
सिवनी जिले के लखनादौन में तथाकथित सरस्वती हाईस्कूल रानीताल के 11 छात्रों ने समिति व स्कूल प्राचार्य राकेश श्रीवास्तव के जरिए यह याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि उन्होंने उक्त स्कूल में दसवीं कक्षा में प्रवेश लिया। फॉर्म भरने के बावजूद उन्हें 2017-18 सत्र के लिए प्रवेश पत्र नहीं मिले। हाईकोर्ट ने छात्रों को इस सशर्त के साथ परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए थे।
डाइस कोड से पकड़े गए
इस बीच एक हस्तक्षेप याचिका दायर कर अधिवक्ता वेदप्रकाश तिवारी ने कोर्ट को बताया कि मूलत: सरस्वती शिक्षा परिषद महाकोशल प्रांत के अधीन श्री स्वामी रामकृष्ण शिक्षा विकास समिति द्वारा संचालित होने वाला उनका स्कूल सरस्वती हाईस्कूल रानीताल के नाम से संचालित है। जबकि याचिकाकर्ता समिति ने फर्जी तारीके से लखन कुंवर महाराज सरस्वती हाईस्कूल रानीताल नाम से स्कूल खोल कर छात्रों को अवैध तरीके से प्रवेश दे दिया। मामंशि के परीक्षा आवेदन पत्र भरने में इन छात्रों ने सरस्वती हाईस्कूल रानीताल का डाइस कोड भर दिया। इस पर माशिमं ने छात्रों के प्रवेशपत्र रोके थे। गुरुवार को जिला शिक्षा अधिकारी सिवनी ने हाजिर होकर कोर्ट को बताया कि छात्र याचिकाकर्ता समिति संचालित स्कूल के प्रवेशी छात्र नहीं हैं। ये या तो फेल होकर या दूसरे स्कूल से आए हैं। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता स्कूल के प्राचार्य से शपथपत्र पर जवाब मांग लिया।