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नियमित नियुक्ति में अतिथि शिक्षकों की सीटों पर हाईकोर्ट सरकार से मांगा ये जवाब

locationजबलपुरPublished: Dec 22, 2018 09:48:50 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी, चार सप्ताह में मांगा जवाब

Wife punishes husband and mother-in-law until the court gets up

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जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य से पूछा है कि उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में अतिथि शिक्षकों के लिए सीटें 25 प्रतिशत तक सीमित क्यों की गईं? जस्टिस अतुल श्रीधरन की सिंगल बेंच ने सभी अनावेदकों को नोटिस जारी किए हैं। सभी से चार सप्ताह में जवाब-तलब किया गया। अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी। इस फैसले को अतिथि शिक्षकों और इस क्षेत्र में जाने वाले युवाओं के लिए राहतकारी माना जा रहा है।

यह है मामला
जबलपुर के अनिल नवेरिया, खुशबू सेठ, सीहोर के मनोज कुमार, हरदा के मुकेश चंदेल, बैतूल की उषा परस्ते, छतरपुर की शशिप्रभा सचान, उमरिया की कंचन वर्मा सहित प्रदेश भर के स्कूलों में 8-10 साल अतिथि शिक्षक के रूप में सेवा देने वाले 43 लोगों ने याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि राज्य सरकार ने लंबे अरसे से कार्यरत अतिथि शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की नियुक्ति में अतिरिक्त अंक देने को कहा था। लेकिन 24 अक्बूबर को जारी नोटिफिकेशन व उसके तारतम्य में निकाले गए उच्च माध्यमिक शिक्षकों के पदों पर भर्ती के विज्ञापन में अतिथि शिक्षकों के लिए कुल सीटों की 25 फीसदी सीट निर्धारित कर दी गईं।

नियमिती करण के थे हकदार
अधिवक्ता बृंदावन तिवारी ने तर्क दिया कि नियमित रिक्त पदों पर कार्य करते रहने की वजह से याचिकाकर्ता नियमित किए जाने के हकदार थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं राज्य सरकार ने भी धोखा करते हुए सीटें सीमित कर याचिकाकर्ताओं के अधिकार का हनन किया है। यदि अतिथि शिक्षकों के लिए सीट सीमित नहीं की जातीं, तो वे सभी सीटों के लिए आवेदन कर सकते थे। उन्होंने इसे गैरकानूनी बताते हुए सीटें सीमित करने की शर्त निरस्त करने के निर्देश देने का आग्रह किया। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, आयुक्त लोक सूचना, आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र व मप्र प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड को नोटिस जारी किए।

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