बने पूरे राष्ट्र की भाषा
वक्ताओं में हिंदी के विद्वान डॉ.हरिशंकर दुबे, संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो.कमल नयन शुक्ल ने संस्कृत और हिंदी के संबंधों एवं हिंदी के सांस्कृतिक व्यवहारिक, उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डाला। संस्कृति और धर्म को बचाने के लिए हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना होगा। आकाशवाणी के पूर्व निदेशक डॉ.बैद्यनाथ गौतम ने हिंदी के प्रचार प्रसार में आकाशवाणी की भूमिका पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ.धीरेंद्र पाठक ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की। डॉ.आशा रानी ने कार्यक्रम का संचालन एवं डॉ.सोना पाठक ने आभार प्रदर्शन किया।
प्रचलित शब्दों को जोडऩे की आवश्यकता
मध्यप्रदेश विद्युत परिवार हिन्दी समिति के तत्वावधान में गुरुवार को हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक संजय कुमार शुक्ल ने कहा कि ने हिन्दी को समृद्धशाली और सबकी भाषा बनाने के लिए हमें समाज में प्रचलित नए शब्दों को जोडऩा होगा। जैसे अंग्रेजी भाषा में हर वर्ष नए शब्द जुड़ते हैं ऐसा हिंदी भाषा में भी करना चाहिए। इससे हिंदी भाषा और अधिक संपर्क भाषा बन सकती है। उन्होंने कहा कि हम अपने घर, पड़ोस, समाज या अन्य कहीं जब अपनी बात रखते हैं या भावना प्रकट करते हैं तो स्वाभाविक रूप से हिंदी में व्यक्त करते हैं। किसी भी व्यक्ति को हिंदी बोलने में हीन भावना महसूस नहीं होना चाहिए।
हिन्दी हमारे देश की भाषा
मुख्य वक्ता, वरिष्ठ अधविक्ता राजेन्द्र तिवारी ने हिंदी के इतिहास और उसके प्रारंभ से अभी तक हुई हर यात्रा का जिक्रकिया। उन्होंने कहा कि हमने कभी भी कोशिश ही नहीं की कि इसका ऐसा निर्माण किया जाए जिससे यह समृद्धशाली हो सके। उन्होंने गोपालदास जी का उदाहरण देते हुए कहा कि हिंदी भारत की भाषा है। इसे अब नई पीढ़ी से जोडऩा चाहिए।
ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक नंद कुमारम, मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रबंध संचालक पीएआर बेंडे तथा मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के प्रबंध संचालक एके नंदा मौजूद रहे। अध्यक्षता एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक, मानव संसाधन व प्रशासन एवं वाणज्यि एवं हिंदी परिषद के अध्यक्ष मकरंद चिंचोलकर ने की।