भरण पोषण गुजारा भत्ता देने की मांग जबलपुर के दमोहनाका क्षेत्र में रहने वाली महिला की ओर से अपने पति के खिलाफ यह याचिका दायर की गई थी। दायर याचिका में भरण पोषण गुजारा भत्ता देने की मांग की गई थी। याचिका में आवेदिका की ओर से कहा गया कि 16 मई 2011 को उसका विवाह न्यू कंचनपुर निवासी पूरन प्रसाद खम्परिया के साथ हुआ था। शादी के कुछ दिन बाद पति और उसके सास-ससुर उसे परेशान करने लगे। गर्भवती होने पर भी उसे परेशान किया जाता रहा। इसकी वजह से आवेदिका बीमार हो गई। इलाज के दौरान आवेदिका का राइट बेबी टयूब निकाल दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि वह भविष्य में मां नहीं बन सकती है। इसके बाद से उसे पति एवं ससुराल पक्ष द्वारा पांच लाख रुपए के लिए परेशान किया जाने लगा।
षडयंत्र के तहत लोन लिया आवेदन में कहा कि पति ने षडयंत्र के तहत आवेदिका के नाम से मुख्यमंत्री योजना के तहत 25 लाख रुपए लोन लिया गया। लोन की राशि से मिठाई की दुकान खोली गई। दुकान के पास ही किराए का मकान लिया गया। 6 जून 2016 को पति उसे छोड़कर भाग गया। इसलिए उसे पति से भरण-पोषण दिलाया जाए।
न्यायालय ने अपने फैसले अनावेदक की ओर से कहा गया कि आवेदिका पहले से विवाहित है। इसकी जानकारी उसके द्वारा नहीं दी गई थी। इस सम्बन्ध में अनावेदक पक्ष द्वारा जांच से सम्बन्धित दस्तावेज भी उपलब्ध कराए गए। जिसके आधार पर कहा गया कि आवेदिका का अब तक पहला विवाह शून्य नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में वह भरण-पोषण पाने की अधिकारी नहीं है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि प्रथम विवाह कायम रहते यदि महिला ने दूसरी शादी कर ली है तो वह भरण-पोषण पाने की अधिकारी नहीं है।