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संस्कारधानी ने पेश की कौमी एकता की अद्भूत मिसाल

locationजबलपुरPublished: Sep 13, 2019 11:21:16 am

Submitted by:

santosh singh

Hindu-Muslim unity:दस दिन जिस स्थान पर कर्बला की झांकी स्थापित की गई, वहीं विराजे भगवान गजानन, पिछले चार वर्षों से दोनों समुदायों के धार्मिक आयोजन एक साथ पडऩे के बावजूद नहीं बिगड़ा सौहार्द

ganesha

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जबलपुर। संस्कारधानी देश में हिन्दू-मुस्लिम कौमी एकता का अद्भुत उदाहरण पेश कर रहा है। शहर में कोतवाली क्षेत्र स्थित मुमताज बिल्डिंग के पास पिछले चार वर्षों से हिन्दू और मुस्लिम अपने-अपने धार्मिक आयोजन एक ही स्थान पर सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाते आ रहे हैं। दोनों समाज की ओर से गठित धार्मिक समितियों में गजब का तालमेल दिखता है। चार वर्षों में कभी भी यहां कोई तनाव जैसी बात नहीं आयी। आलम ये है कि पुलिस को भी कभी यहां हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं महसूस हुई।
दोनों समितियों के लोग मिल-बैठ कर करते हैं तय
दोनों समाज में जिसका भी धार्मिक आयोजन पहले पड़ता है, उसे पहला मौका दिया जाता है। इस बार मुहर्रम-गणेशोत्सव साथ-साथ पड़ा तो दोनों समितियों की रजामंदी पर पहले यहां कर्बला की झांकी रखी गयी। इसके बाद फिर गजानन भगवान गणेश का पंडाल सजा। गलगला मुमताज बिल्डिंग के पास पिछले चार वर्षों से मुहर्रम, गणेशोत्सव व दुर्गोत्सव के कार्यक्रम एक ही स्थान पर होते आ रहे हैं।
इस बार मुहर्रम पर कर्बला की झांकी पहले सजी
पिछले तीन वर्षों से यहां दुर्गोत्सव और मुहर्रम एक साथ पड़े थे। पहले दुर्गोत्सव पड़ा तो यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई। दसमी को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के बाद फिर यहां मुहर्रम का आयोजन हुआ। इस बार मुहर्रम व गणेशोत्सव एक साथ शुरू हुए। इसके चलते फातमा जहरा कमेटी और स्वर संगम गणेश उत्सव समिति के सदस्यों ने बैठक कर हल निकाला कि मुहर्रम पहले और गणेश पंडाल बाद में लगाया जाएगा।

karbla ki jhaki
santosh singh IMAGE CREDIT: patrika

मुहर्रम की दसवीं की रात विराजे भगवान गजानन
फातमा जहरा कमेटी की तरफ से यहां कर्बला की झांकी रखी गयी थी। जिसे दसवीं की रात रानीताल ले जाया गया। समिति के लोगों ने तुरंत इस स्थान की साफ-सफाई की और रात में ही भगवान गणेश का पंडाल लगाने के साथ ही मूर्ति भी स्थापित कर दी गई। अब फातमा जहरा कमेटी अपना लंगर का आयोजन गणेश विसर्जन के बाद आयोजित करेगा।
इनका कहना-
-हम हिन्दू व मुस्लिम समाज के लोग मिलजुल कर एक-दूसरे के धार्मिक आयोजन में शामिल होते हैं। पिछले चार वर्षों से हम मुहर्रम, गणोत्सव व दुर्गोत्सव एक साथ मना रहे हैं।
नौशाद, अध्यक्ष हजरत जहरा कमेटी
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-हम दोनों समाज के लोग आपस में बैठकर कर तय करते हैं कि पहले कौन से धार्मिक आयोजन होंगे। इस स्थान के पीछे तब तक दूसरे समाज का आयोजन होता है।
राकेश सेन, अध्यक्ष, स्वर संगम उत्सव समिति
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-गलगलता मुमताज बिल्डिंग के पास पिछले चार वर्षों से हिन्दू व मुस्लिम समाज सौहार्दपूर्ण वातावरण में एक ही स्थान पर मुहर्रम, दुर्गोत्सव व गणेशोत्सव का आयोजन करते आ रहे हैं। ये हमारे संस्कारधानी की असल पूंजी है।
अमित सिंह, एसपी, जबलपुर

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