राजा और मंत्री के आपसी तालमेल से अध्यात्म क्षेत्रों का होगा विस्तार
पंचांगों के अनुसार 25 मार्च से संवत्सर 2077 शुरू होगा। सनातन नव वर्ष में प्रमादि नामक संवत्सर है। बुध के राजा होने के कारण धर्म व अध्यात्म क्षेत्रों का विस्तार होगा। बुध और सूर्य की युति के कारण शासन सत्ता से जनहित में ठोस निर्णय किए जाएंगे। राजनीतिक क्षेत्र में शनि की दृष्टि होने से राजनीतिक दलों में सामंजस्य की कमी रहेगी।
नवसंवत्सर 25 मार्च से : ग्रहों के मंत्रिमंडल में राजा बुध और मंत्री चंद्रमा रहेंगे
संक्रामक बीमारियों का जोखिम
ज्योतिर्विद् जनार्दन शुक्ला के अनुसार इस साल अच्छी बारिश होने के साथ फलों का उत्पादन बढ़ेगा। मंत्री चंद्रमा के मित्र ग्रह शनि है। इससे रस पदार्थों में उन्नति होगी लेकिन संक्रामक बीमारियों का जोखिम बना रहेगा। वस्त्र, चिकित्सा व फलों से सम्बंधित व्यवसाय में वृद्धि होगी।
जलवायु का असंतुलन
आचार्य डॉ. सत्येंद्र स्वरूप शास्त्री के अनुसार सांवर्त नामक मेघ बादलों का स्वामी है। रोहणी नक्षत्र का निवास पर्वत पर होने से कुछ राज्यों में कम तो कहीं ज्यादा बारिश की सम्भावना है। जलवायु के असंतुलन से कुछ क्षेत्रों में परेशानी हो सकती है।
सूर्य का मीन राशि में प्रवेश
होली के बाद 13 मार्च को सूर्य ने मीन राशि में प्रवेश किया है। 14 अप्रैल तक सूर्य इसी राशि में विचरण करेंगे। इस अवधि को खरमास कहा जाता है। इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। हालांकि 25 मार्च से शुरू हो रहे नवरात्र में धार्मिक अनुष्ठान फलदायी होंगे। इस बार नवरात्र नौ दिन का है। खरमास में गुरु की राशि मीन धनु और सिंह राशि के जातकों के लिए उत्तम समय है।